राजनीति में नैतिकता का सवाल, केजरीवाल की जिद ने पैदा किया संवैधानिक संकट

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी कह रही है कि वह जेल से ही सरकार चलाएंगे। केजरीवाल भी ऐसा कह रहे हैं। इसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या भारत का संविधान इसकी अनुमति देता है? क्या जेल से सरकार चलाना उचित है? मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पद है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी कह रही है कि वह जेल से ही सरकार चलाएंगे। केजरीवाल भी ऐसा कह रहे हैं। इसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या भारत का संविधान इसकी अनुमति देता है? क्या जेल से सरकार चलाना उचित है? मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पद है। केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए हाल में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई। हालांकि उसने इस पर सुनवाई से इन्कार कर दिया, लेकिन इतना जरूर कहा कि ‘इस मुद्दे पर निर्णय लेना दिल्ली के उपराज्यपाल (या भारत के राष्ट्रपति पर निर्भर है। कभी-कभी व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है, लेकिन यह अरविंद केजरीवाल का निजी फैसला होगा कि उन्हें मुख्यमंत्री बने रहना है या नहीं।’ अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल इन दिनों मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर जनता के नाम केजरीवाल की भावनात्मक अपील जारी कर रही हैं। इससे चर्चा का बाजार गर्म है कि क्या अरविंद केजरीवाल की पत्नी उनकी उत्तराधिकारी बनने जा रही हैं? ईडी द्वारा पूछताछ के लिए समन पर समन के बाद भी हाजिर न होकर अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव की घोषणा का इंतजार तो नहीं कर रहे थे, ताकि लोगों की सहानुभूति प्राप्त की जा सके? सवाल कई हैं, पर सबसे बड़ा सवाल राजनीति में नैतिकता का है।