Gorakhpur News: चिड़ियाघर में दिखेंगे 10 स्वर्ण मृग भी, एक काला हिरण भी- प्रदेश का पहला सफेद हिरण पहले से ही

शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान चिड़ियाघर में मौजूद वन्य जीवों में अब 10 स्वर्ण मृग और एक काला हिरण भी शामिल हो जाएगा। अभी कुछ दिन पहले रेणुकूट के हिंडाल्को से एक काला हिरण और पांच स्वर्ण मृग गोरखपुर लाए गए थे। मंगलवार की देर रात तक पांच और स्वर्ण मृग आ गए। डॉ. योगेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में टीम रेणुकूट से लेकर इन्हें आई। बुधवार से इन स्वर्ण मृगों का ठिकाना गोरखपुर चिड़ियाघर हो जाएगा।
हिंडालको परिसर रेणुकूट सोनभद्र स्थित मिनी जू अब बंद हो चुका है। वहां से 12 वन्य जीवों को गोरखपुर ले जाने का आदेश हुआ था। वन्य जीवों को गोरखपुर लाने के लिए डॉ. योगेश के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई थी। बीते 19 मार्च को रेणुकूट पहुंची टीम वहां से एक काले हिरण और पांच स्वर्ण मृग को गोरखपुर ले आई थी।
डॉ. योगेश ने बताया कि चिड़ियाघर में रखने से पहले इन्हें 21 दिन क्वारंटीन प्रक्रिया में रखा जाएगा। पांच स्वर्ण मृग लेकर टीम मंगलवार की देर रात तक गोरखपुर आ गई। इन्हें भी सीधे क्वारंटीन किया जाएगा। शक्ति सिंह, रवि यादव, सर्वज्ञमानी, राकेश यादव समेत लोग मृग को लेने टीम के साथ गए थे।
बोमा विधि का किया प्रयोग
डॉ. योगेश और उनकी टीम जब रेणुकूट के मिनी जू में पहुंची तो, इन जानवरों को पकड़ने के लिए उन्हें काफी दिक्कतें हुई। इन जानवरों को पकड़ने के लिए ‘बोमा विधि’ का प्रयोग किया गया। बोमा विधि अफ्रीका की बेहद खास विधि होती है।
इसमें घास डालकर जानवरों को आने का मौका दिया जाता है। जब वे घास खाने लगते हैं तो फिर उन्हें बाड़े में बंद कर दिया जाता। क्योंकि, जबरन वन्य जीव को पकड़ कर कैद नहीं किया जा सकता। ऐसे में उन्हें खुद बाड़े में आने का इंतजार करना पड़ता। बोमा विधि इसमें सहायक होता है।