कौन कहता है कि आसमां मे सुराख नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों—

रजनीश कुमार प्रजापति ब्यूरो चीफ (जस्ट एक्शन)
(गाजीपुर) यह पंक्तियां किसी शायर ने यों ही नही लिखी है। निश्चय ही अपने जीवन के एक लंबे अनुभव से गुजरने के बाद ही लिखी होगी। जी हां मै बात कर रहा हूं स्वामी आत्मानंद इंटर कालेज टोडरपुर गाजीपुर की मेधावी छात्रा सुप्रिया कुमारी की जिसने बिना किसी कोचिंग के 2024 की इंटर बोर्ड परीक्षा मे 96.80% अंक लाकर प्रदेश मे छठवें और जिला टापर्स के रुप मे उन छात्र/छात्राओं के लिए प्रेरणा स्रोत/मिशाल के रुप मे उभर कर ज्वलंत रुप मे समक्ष खड़ी हुई जिनके अभिभावक किसी तरह कालेज मे पढाने की व्यवस्था येन केन प्रकारेण तो कर लेते हैं पर एक शौक का पर्याय बन चुका कोचिंग कराने के लिए इंतजाम नहीं कर पाते। बताते चले कि आजकल कोचिंग एक रोग व शौक बन चुका है। भले ही विद्यार्थी कालेज नियमित नही जाते हैं कोचिंग किसी भी हालत मे अवश्य जाएंगे। वे कोचिंग को एक पिकनिक के रुप मे लेते है जहां कोई किसी का डर व अनुशासन तो नाम का ही होता है प्रदेश टापर्स मे एक वीरपुर की छात्रा सुप्रिया कुमारी ने बताती है कि मै नियमित सायकिल से कालेज टोडरपुर जाया करती थी। कक्षा कभी नही मिस की। हां घर आकर कालेज मे पढाए गए पाठों का रिवीजन प्रतिदिन अवश्य किया करती थी और थोड़ा बहुत मोबाइल व बडे भाई साहब का सहयोग अवश्य कभी कभार ले लिया करती थी। उसने यह भी बताया कि अक्सर विद्यार्थी कक्षा छोड़कर कोचिंग भागते हैं यह बिल्कुल ठीक नही है।
नियमित समय सारिणी बनाकर प्रतिदिन अध्ययन से सफलता प्राप्त किए जा सकते है।