ऑटिज्म रोग पर एम्स का शोध: 17 साल में दोगुनी हुई समस्या, बच्चों में दिखते हैं ये लक्षण; ऐसे करें पहचान

कीटनाशकों का बढ़ता इस्तेमाल बच्चों को मनोरोगी बना सकता है। खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों के दुष्प्रभाव पर एम्स विशेषज्ञ शोध कर रहे हैं। एम्स के बाल न्यूरोलॉजी प्रभाग की प्रभारी संकाय प्रोफेसर डॉ. शैलाफी गुलाटी ने इसके बारे में जानकारी दी।
खेती में इस्तेमाल हो रहे कीटनाशक छोटे बच्चों को मनोरोगी बना सकते हैं। विशेषज्ञों ने आशंका जाहिर की है कि अनुवांशिकी, एपिजेनेटिक के अलावा पर्यावरण में बदलाव बच्चों में होने वाले ऑटिज्म का बड़ा कारक हो सकता है। इसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए एम्स के विशेषज्ञों ने दिल्ली के आसपास हरियाणा क्षेत्र में शोध शुरू किया है। इस शोध के दौरान लौकी सहित दूसरी सब्जियों को उगाने के दौरान इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक का प्रभाव तीन माह तक के बच्चों पर देखा जाएगा। अध्ययन से पता लगाया जाएगा कि क्या इसके कारण बच्चों में ऑटिज्म रोग बढ़ रहा है।
एम्स के बाल न्यूरोलॉजी प्रभाग की प्रभारी संकाय प्रोफेसर डॉ. शैलाफी गुलाटी का कहना है कि अनुवांशिकी कारणों से बच्चों में इस रोग के लक्षण दिखते हैं। इसके अलावा पर्यावरण को भी कारक माना जा सकता है। इसमें प्रदूषण के अलावा कीटनाशक का इस्तेमाल शामिल है। शुरुआती अनुमान में पेस्टिसाइड जूस को कारक माना जा रहा है। वहीं एपिजेनेटिक कारणों में मां को दी गई दवाई सहित दूसरे कारक भी ऑटिज्म के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। हालांकि ऑटिज्म होने का कारण आज भी पहेली बना हुआ है। किसी जांच से इसकी पुष्टि संभव नहीं है। विशेषज्ञ क्लीनिक टेस्ट से ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं।
17 साल में दोगुनी हुई समस्या
आटिज्म की समस्या 17 साल में करीब दोगुनी हो गई है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2006 में प्रति 66 बच्चों में एक बच्चा इस रोग से पीड़ित पाया जाता था। वहीं साल 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर प्रति 36 बच्चों में से एक हो गया है। एम्स ने साल 2011 में एक अध्ययन किया था। उस समय प्रति 89 में एक बच्चा इससे पीड़ित पाया गया था। विशेषज्ञों की माने तो समय के साथ बच्चों में यह समस्या बढ़ रही है। यह चिंता का विषय है।
बच्चों में दिखते हैं लक्षण
– अकारण या बिना बोले हाथ हिलाना
– शरीर को हिलाना
– मध्यम आवाज को भी शोर मानना
– बालों या शरीर के किसी अंग को लगातार हाथ लगाना
– अलग व्यवहार करना, साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखना
ऐसे करें पहचान
– बच्चा छह माह तक बात करने पर प्रतिक्रिया न दे
– एक साल की उम्र तक में बच्चा बोल न पाए
– 16 माह की उम्र में बच्चा एक शब्द अर्थ के साथ न बोल पाए
– 24 माह की उम्र में बच्चा दो शब्द अर्थ के साथ न बोल पाए
– नजरें न मिल पाए
जागरूकता के लिए अभियान
अप्रैल माह को ऑटिज्म जागरूकता के तौर पर मनाया जाता है। इस बार की थीम कलर्स रखी गई है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) है। यह एक तंत्रिका विकास संबंधी विकार है। इसका निदान 12-18 महीने की उम्र में ही किया जा सकता है। यह सभी में एक जैसा नहीं होता। एम्स में आए 1800 से अधिक रोगी पर इसका अध्ययन किया गया। इसमें 80 फीसदी में एक से ज्यादा सह-रुग्णताएं देखी गई। इसमें व्यवहार में बदलाव, वैश्विक विकासात्मक देरी, बौद्धिक विकलांगता, नींद की असामान्यताएं, मिर्गी, भाषा में देरी सहित दूसरे लक्षण दिखते हैं। इस रोग को 2024 विकलांगता प्रमाणन दिशा निर्देशों में शामिल किया गया है।
चल रहा है अध्ययन
जोखिम वाले शिशुओं में ऑटिज्म के निदान को लेकर प्रारंभिक मार्करों की तलाश के लिए अध्ययन चल रहा है। इसे लेकर कई थेरेपी विकसित की गई है। इसमें आहार थेरेपी, न्यूरोमॉड्यूलेटरी थेरेपी, निदान व प्रबंधन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को शामिल सहित अन्य शामिल हैं।