अन्तर्राष्ट्रीय

फंड लेकर सेना पर खर्च कर देता है पाकिस्तान, ब्रिटेन में हाई कमीश्नर ने कहा- हमने 30 वर्षों तक संयम बरता है

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में  वृद्धि और एलओसी पर संघर्षपूर्ण हालात ने दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच दशकों में पहली बार पूर्ण युद्ध की आशंका पैदा कर दी है। भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं में कुल मिलाकर करीब 2 मिलियन सशस्त्र बल कर्मी हैं। इसका मतलब है कि यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से लड़ाकों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़ा युद्ध हो सकता है। पाकिस्तान के पास वैसे तो आटा खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। लेकिन उधार की जिंदगी जीता मुल्क हथियारों और सेना के लिए कर्ज लेकर उसे आतंक को सपोर्ट करने के लिए लगा रहा है। पाकिस्तान को आईएमएफ की तरफ से 1 बिलियन डॉलर का लोन जारी करने को मंजूरी मिल गई है।

यूनाइटेड किंगडम में भारत के हाई कमीशन ने बीबीसी रेडियो से बात करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर हमने 30 वर्षों तक संयम बरता है। पाकिस्तानी सरकार परमाणु शब्द का इस्तेमाल कर रही है। हम पाकिस्तान के साथ बड़े संघर्ष की इच्छा नहीं रखते। इसके साथ ही हाई कमीश्नर ने कहा कि पाकिस्तान के लिए धन सेना को जाता है।

आपको बता दें कि पाकिस्तान को करीब 1 बिलियन डॉलर लोन जारी करने की मंजूरी दे दी। इससे पहले भारत ने आईएमएफ के उस प्रस्ताव का विरोध किया जिसमें पाकिस्तान को 2.3 अरव डॉलर का नया कर्ज देने की बात थी। भारत का कहना है कि यह पैसा पाकिस्तान सरकार सीमापार आतंकवाद फैलाने में इस्तेमाल कर सकती है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत ने आईएमएफ बोर्ड की बैठक में हिस्सा तो लिया, लेकिन वोटिंग में भाग नहीं लिया। भारत ने कहा कि अगर ऐसे देश को बार-बार कर्ज दिया जाता है, तो इससे वैश्विक मूल्यों का मजाक बनता है।

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