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पूर्वांचल के लिए मील का पत्थर है अत्याधुनिक माइक्रोबायलॉजी लैब, UP के इन शहरों में होगी फंगस की वैज्ञानिक जांच

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब लखनऊ और मेरठ के बाद वाराणसी, कानपुर, मिर्जापुर, बरेली और अलीगढ़ जैसे प्रमुख जिलों में भी माइक्रोबायलॉजी लैब स्थापित की जा रही हैं। यह लैब्स न केवल खाद्य और औषधि पदार्थों की गुणवत्ता की वैज्ञानिक जांच के लिए उपयोगी होंगी, बल्कि इससे जनस्वास्थ्य से जुड़े मामलों में भी त्वरित और सटीक कार्रवाई संभव हो सकेगी। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की विशेष सचिव रेखा सिंह चौहान ने बताया कि वाराणसी में निर्मित माइक्रोबायलॉजी लैब का कार्य पूरा हो चुका है और 31 मई से संचालन प्रारंभ कर दिया जाएगा।

यह पूर्वांचल के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी, क्योंकि अब इस क्षेत्र के नागरिकों को बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और सूक्ष्म पैथोजन्स से जुड़ी जांच के लिए दूसरे शहरों या राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त कानपुर, मिर्जापुर, बरेली और अलीगढ़ में भी ऐसी ही अत्याधुनिक माइक्रोबायलॉजी लैब की स्थापना हेतु FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) द्वारा बजट स्वीकृत कर दिया गया है। टेंडर प्रक्रिया चल रही है और निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ होगा।

विभाग का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक इन सभी जिलों में माइक्रोबायलॉजी लैब पूरी तरह से क्रियाशील हो जाएं। इन प्रयोगशालाओं के माध्यम से अब प्रदेश में ही स्थानीय स्तर पर फलों, सब्जियों, दूध, दही, पनीर, मसालों व अन्य खाद्य पदार्थों में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं जैसे बैक्टीरिया, वायरस, माइक्रोटॉक्सिन्स व फंगस की वैज्ञानिक जांच हो सकेगी। इसी तरह औषधियों की शुद्धता और प्रभावशीलता की टेस्टिंग भी इन्हीं लैब्स में की जा सकेगी। इससे समय की बचत के साथ-साथ प्रदेश की स्वावलंबन क्षमता भी बढ़ेगी।

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