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पर्यटन व तीर्थ स्थलों पर गो जन्य उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था करायें

पशुधन मंत्री ने जनपदों में गोआश्रय स्थलों की समीक्षा की

  • गाय हमारी आस्था और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा: अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्त

लखनऊ । प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल की अध्यक्षता में गुरुवार को यहां विधानभवन स्थित कार्यालय कक्ष में गोसेवा आयोग द्वारा विभिन्न जनपदों के भ्रमण के दौरान गोसंवर्धन एवं गोशालाओं के निरीक्षण तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाए जाने के संबंध में बैठक आहूत की गई। बैठक में आयोग द्वारा समस्त जनपदों की विभिन्न वृहद् गो संरक्षण केन्द्रों, अस्थाई गो आश्रय स्थलों, कान्हा गोशाला एवं पंजीकृत गोशालाओं में आयोग के पदाधिकारीगण एवं अधिकारीगण द्वारा भ्रमण व निरीक्षण की विस्तृत जानकारी एवं सुझाव दिए गए।

बैठक में पशुधन मंत्री ने गोसेवा आयोग पदाधिकारियों से अपेक्षा करते हुए कहा कि गोरखपुर मंडल, अयोध्या मंडल, वाराणसी मंडल, लखनऊ मंडल, झांसी मंडल, बरेली मंडल, आगरा मंडल तथा चित्रकूट के मंडल मुख्यालय से एक-एक गोशाला को पूर्णत: आत्मनिर्भर बनाया जाए। इस हेतु महिला सहायता स्वयं समूह, एनजीओ का सहयोग लिया जाए। गोकाष्ठ दण्डिका बनाने के लिए गोकाष्ठ मशीन की व्यवस्था की जाए। गोबर से कम्प्रेस्ड बायो गैस और पाइप लाइन बायो गैस बनाई जाए। स्थानीय स्तर पर गो जनित उत्पादों की मांग को बढ़ावा दिया जाए।

श्री सिंह ने कहा कि पर्यटन एवं तीर्थ स्थलों जैसे चित्रकूट, अयोध्या, गोरखनाथ पीठ, बृजभूमि आदि स्थानों पर गो जन्य उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था की जाए। प्राकृतिक एव जैविक खेती हेतु किसानों को प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि आयोग द्वारा गोआश्रय स्थलों के निरीक्षण के दौरान जो भी कमियां पाई गई है, उन्हें त्वरित गति से निस्तारित किया जाए। हरे चारे हेतु नेपियर घास की बुआई को प्राथमिकता दी जाए। प्रदेश की समस्त गोशालाओं में गोबर व गोमूत्र का संचय एवं उपयोग कर पचगव्य उत्पाद यथा साबुन, अगरबत्ती, धूपबत्ती, गोकाष्ठ, गोनाइल, घनवटी, गोअर्क एवं अन्य औषधियों का निर्माण किया जाना चाहिए, जिससे गोशालाएं स्वाबलबी बन सकेंगी।

बैठक में आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्त ने कहा कि गाय केवल आस्था का विषय नही है बल्कि हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। गो सेवा आयोग अब कृषि को व्यवसाय से और गाय को उपयोगिता के साथ जोड़ने की दिशा में नए आयाम की ओर अग्रसर है। विभिन्न गोशालाओं में पर्याप्त भूमि है जिस पर हरे चारे का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे गोशालाओं में संरक्षित गोवंश को हरे चारे की उपलब्धता हो सकेगी।

आयोग द्वारा सुझाव दिया गया कि मनरेगा के अन्तर्गत गोशालाओं में पक्का कैटिल शेड, यूरिन टैंक एवं नांद का निर्माण कराया जाना अति आवश्यक है जिससे कि गोमूत्र आदि का संग्रह कर गोआधारित प्राकृतिक कृषि के लिये उपयोग में लाया जा सके। गोवंश के उन्नत नस्ल सवर्धन हेतु गोशालाओं में स्वस्थ नर की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना अति आवश्यक है। जनपद झासी के ग्राम पलींदा एवं जनपद जालौन के ग्राम रगौली की भांति उत्तर प्रदेश के समस्त गांव में बायोगैस की स्थापना किया जाना आवश्यक है जिससे कि गोबर व गोमूत्र की उपयोगिता बढ़ने के साथ-साथ गोवंश की उपयोगिता बढ़े, जिससे गो संरक्षण गो संवर्धन का बल मिलेगा। गोआधारित प्राकृतिक कृषि कर रहे 100 कृषकों एवं गोवंश के मोबर व गोमूत्र का प्रयोग कर गोउत्पाद बना रहे 100 गोपालकों को ब्राड अम्बेसडर बनाकर प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है जिससे कि वे इस क्षेत्र में और भी अच्छा कार्य करें। बैठक में आयोग के सदस्य प्रमुख सचिव, पशुधन एवं दुग्ध के. रवीन्द्र नायक, विशेष सचिव, देवेन्द्र पाण्डे सहित वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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