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कांग्रेस ने तुष्टीकरण के आधार पर संविधान में किया छेड़छाड़ : बृजभूषण शरण सिंह

  • पूर्व भाजपा सांसद ने फिर बोला कांग्रेस पर हमला, मनु स्मृति पढ़ें राहुल गांधी
  • बृजभूषण बोले, जहां-जहां जिसके कारण समाज में तनाव पैदा होता हो या पैदा हो रहा है, उन शब्दों को संविधान से हटाया जाना चाहिए

गोण्डा। भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर फिर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मनु स्मृति समाज में संतुलन बनाए रखने का काम करती थी। मनु स्मृति में व्यवस्था दी गयी थी कि समाज का संतुलन कैसे बना रहे। किस आधार पर समाज चले। उस समय का नियम था, जिसको मनु स्मृति में लिखा गया है, लेकिन बाद में मनु स्मृति में कुछ छेड़छाड़ की गई और इसको केवल देश के अंदर विवाद पैदा करने के लिए किया गया।

पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने राहुल गांधी को भी मनु स्मृति पढ़ने की नसीहत दी। वे राहुल गांधी के उस ट्वीट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि संविधान बीजेपी और आरएसएस को चुभता है। बीजेपी को संविधान नहीं, मनु स्मृति चाहिए जिससे देश के गरीबों को दोबारा गुलाम बनाया जा सके। बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि राहुल गांधी को मनु स्मृति जरूर पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सवाल सिर्फ मनु स्मृति का नहीं है। तमाम महापुरुषों ने जब राज चलाया, तो समाज को एक व्यवस्था देने का काम किया। जन्म के आधार पर न कोई शूद्र था, न जन्म के आधार पर कोई वैश्य था, न जन्म के आधार पर कोई क्षत्रिय था। उनको यह भी पढ़ना चाहिए की वेद व्यास को जो सम्मान द्वापर में प्राप्त है, वह वेद व्यास कौन थे? मनु स्मृति में कर्म के आधार पर घटने और बढ़ने की व्यवस्था दी गयी है, जो हम सबके लिए गर्व करने का विषय है।

बृजभूषण शरण सिंह ने उप राष्ट्रपति जगदीश धनखड़ के उस बयान का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि संविधान में धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी दो शब्द नासूर बन गए हैं। उन्होंने कहा कि जिस समय देश में आपातकाल लगा, उस समय देश में तुष्टीकरण की राजनीति चल रही थी और उसी समय संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया था। बृजभूषण ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने कई बार तुष्टीकरण के आधार पर संविधान में छेड़छाड़ करने का कार्य किया है, जिसके कारण आज नए-नए विवाद हो रहे हैं। मैं आवश्यकता महसूस करता हूं कि जहां-जहां जिसके कारण समाज में तनाव पैदा होता हो या पैदा हो रहा है, उन शब्दों को संविधान से हटाया जाना चाहिए।

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