उत्तर प्रदेशगाजीपुर

जगह नही मिलने की आशंका से एक पखवाड़ा पहले ही बनने लगी छठ -वेदियां

भगवान भास्कर को समर्पित छठ पर्व मनाया जाता है।छठ पर्व में नदी, तालाबों,नहरों, नदियों के किनारों या कहीं कहीं घर में ही पानी भरे गड्ढे के सामने छठ -वेदी मिट्टी की बनायी जाती है

रजनीश कुमार प्रजापति ब्यूरो चीफ

गाजीपुर lभांवरकोल।(जस्ट एक्शन) आमतौर पर भारत एक त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां विभिन्न धर्मों के रहने वालों द्वारा वर्ष भर कोई न कोई अपना त्योहार श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता रहता है।इन त्योहारों में दीपावली हिंदुओं का बड़े त्योहारों में से एक माना जाती है और दिवाली पर्व के छठवें दिन भगवान भास्कर को समर्पित छठ पर्व मनाया जाता है।छठ पर्व में नदी, तालाबों,नहरों, नदियों के किनारों या कहीं कहीं घर में ही पानी भरे गड्ढे के सामने छठ -वेदी मिट्टी की बनायी जाती है और उसी वेदी पर छठ के दिन विधि विधान से छठ -पूजन महिलाएं करती हैं। वैसे माना जाता है कि छठ पर्व बडा खर्चीला पर्व है लेकिन इसमें घोर आस्था के कारण अमीर से लेकर अति निर्धन परिवार भी छठ पर्व मनाने में पीछे नहीं रहता है। स्थानीय क्षेत्र में गांव का कोई ही हिंदू घर हो जो छठ नहीं मनाता। दिनों-दिन आस्था कहा जाये या देखा देखी में हर साल छठ मनाने वालों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी होने के कारण छठ वेदी बनाने हेतु जगह के लिए रक झक भी हो जाया करता है ।इसी कारण दिवाली बीतने के अगले सबेरे ही वेदियां बनने आरंभ हो जाती हैं।इस साल तो अभी दिवाली बीती ही नहीं है कि वेदियां बनवायी जाने का कार्य शुरू हो गया है। यों श कहा जाये कि दिवाली की तैयारी से अधिक छठ के लिए वेदी बनाकर जगह कब्जा किया जाने लगा है। क्षेत्र के अति प्राचीन संकट मोचन मंदिर भावरकोल स्थित तालाब/सरोवर की साफ सफाई का कार्य ग्राम पंचायत प्रधान अवधेश कुशवाहा ऊर्फ लालू ने आरंभ कर दिया है और अपेक्षित मात्रा में पानी भरवाने की भी तैयारी हो रही है जिससे महिलाओं को पानी में खड़ा हो करके सूर्य को अर्घ्य दे सकें। मंदिर के पुजारी राजनारायन तिवारी ने बताया कि यहां छठ पर्व मनाने के लिए स्थानीय क्षेत्र के पांच छ गांवों की महिलाएं आती है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता रामजन्म कुशवाहा ने बताया है कि जगह न मिलने की आशंका के कारण ही पूरे विकास खंड क्षेत्र में छठ वेदियां कोई एक पखवाड़ा/पंद्रह दिन पहले ही बनने लगी हैं।

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