उत्तर प्रदेशलखनऊ

फ्लैट खरीदारों और बिल्डरों को मिली 13 राहत : योगी सरकार ने कैसे लागू की अमिताभ कांत समिति की सिफारिश, पढ़िए पूरी जानकारी

  • Noida News : नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अपने घर की चाहत में वर्षों तक इंतजार करने वालों के लिए यह अच्छी और सुकून देने वाली खबर है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की सिफारिशों पर अपनी मुहर लगा दी है। इस के साथ ही बिल्डर-बायर्स मुद्दे को हल करने के लिए अमिताभ कांत समिति की 13 सिफारिशों को लागू कर दिया गया है। शून्यकाल का लाभ, तीन साल में बकाया जमा करने, मार्टगेज, प्रचलित एफएआर, परियोजना पूरी करने के लिए समय वृद्धि बिल्डरों को मिल सकेगी। जबकि खरीदारों को तीन महीने में रजिस्ट्री, अतिरिक्त पैसा नहीं देने समेत कई लाभ मिलेंगे। अगर बिल्डरों ने शर्तों का उल्लंघन किया तो उस दौरान के लाभ नहीं मिलेंगे। परियोजना पूरा नहीं करने वाले बिल्डरों को पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
  • ढाई लाख लोगों को मिलेगा आपना घर
  • नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को प्रदेश सरकार की मुहर के बाद आदेश जारी कर दिए गए। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने सभी प्राधिकरणों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें बिल्डरों और खरीदारों को दिए जाने वाले लाभ के बारे में बताया गया है। यह भी बताया गया कि किस तरह से इनको लागू किया जाएगा। बिल्डरों को छूट के साथ उन पर कार्रवाई की भी सिफारिश की गई है, ताकि वह परियोजना को पूरा कर सकें। समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए प्राधिकरण के बोर्ड द्वारा निगरानी की जाएगी। सभी महत्वपूर्ण निर्णय बोर्ड से अनुमोदित कराए जाएंगे। पैकेज के पूर्ण क्रियान्वयन होने तक प्रत्येक बोर्ड बैठक में यह एजेंडा अनिवार्य रूप से जाएगा। अगर जरूरी हुआ तो विशेष बोर्ड बैठकों का आयोजन किया जाएगा। बिल्डर और खरीदारों को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। इन सिफारिशों के लागू होने से एनसीआर में फंसे करीब 2.40 लाख फ्लैट खरीदारों को राहत मिलेगी। उन्हें अपना घर मिल सकेगा।
  • बिल्डरों को क्या-क्या मिला
  • शून्यकाल का लाभ मिलेगा : कोरोना महामारी के तहत बिल्डरों को पहली अप्रैल-2020 से 31 मार्च-2022 तक शून्य काल का लाभ दिया जाएगा। ओखला बर्ड सेंचुरी के 10 किलोमीटर के दायरे में एनजीटी के आदेशों के क्रम में 14 अगस्त-2013 से 19 अगस्त-2015 तक जीरो पीरियड का लाभ मिलेगा। यह केस टू केस पर लागू होगा। शून्यकाल का लाभ लेने के बाद बकाया धनराशि का 25 प्रतिशत 60 दिनों के भीतर जमा करना होगा। शेष 75 प्रतिशत पैसा साधारण ब्याज के साथ तीन साल में जमा करना होगा।

आंशिक सरेंडर की अनुमति मिलेगी

परियोजना को पूरा करने के लिए सह-विकासकर्ता को रखने के लिए अनुमति दी जाएगी। प्राधिकरण के बकाया देने की जिम्मेदारी आवंटी के साथ विकासकर्ता की संयुक्त रूप से रहेगी। परियोजना की अनुपयुक्त भूमि का आंशिक भाग सरेंडर करने की अनुमति होगी। प्राधिकरण सरेंडर की गई भूमि के लिए पहले से भुगतान की गई राशि को बिल्डर के बकाए के साथ समायोजित करेगा। बिल्डर द्वारा सरेंडर न करने की दशा में तथा प्राधिकरण का बकाया नहीं देने पर प्राधिकरण अनुपयुक्त भूखंड के आंशिक भाग का अलॉटमेंट एवं लीज डीड कैंसिल कर सकेगा।

 

निशुल्क समय विस्तार मिलेगा

वर्तमान नीति के अनुसार, सभी नियमों को पूरा करने के बाद प्रचलित दर पर अतिरिक्त एफएआर दिया जाएगा। परियोजना को अधिकतम तीन वर्ष के अंदर पूरा करना होगा। यह समय विस्तार बिना शुल्क के मिलेगा। यदि कोई बिल्डर निर्धारित समय सीमा के भीतर परियोजना को पूरा करने में विफल रहता है तो उस पर कार्रवाई होगी। उसे तीन वर्ष की अवधि के बाद बकाया धनराशि पर 20 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद परियोजना को प्राधिकरण द्वारा पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा।

रजिस्ट्री निरस्त नहीं की जाएगी

बकाये की 25 प्रतिशत धनराशि जमा करने पर बिल्डर को परमिशन टू मॉर्टगेज मिल सकेगा। इससे उन्हें बैंक से ऋण मिलने में आसानी रहेगी। सभी बकाया राशि का चार्टर्ड अकाउंटेंट से सत्यापन कराया जाएगा। इसकी पुनर्गणना लीज डीड की शर्तों तथा प्राधिकरण के समय-समय पर जारी आदेशों को शामिल करते हुए की जाएगी। कार्य की सहमति देने वाले तथा कार्य करने वाले बिल्डर की रजिस्ट्री निरस्त नहीं की जाएगी।

 

इस तरह से जमा करना होगा पैसा

सौ करोड़ रुपये तक के बकाये की राशि एक वर्ष के अंदर जमा की जाएगी। 500 करोड़ रुपये तक की राशि दो वर्षों में तथा इससे अधिक धनराशि तीन वर्ष में अदा करनी होगी। बिल्डर को दी जाने वाली रियायत तथा प्राधिकरण के बकाए के भुगतान और खरीददारों की रजिस्ट्री आपस में लिंक रहेगी।

खरीदारों को क्या मिला, अतिरिक्त पैसा नहीं वसूल सकेंगे

लाभ लेने वाली बिल्डर परियोजना के खरीदारों से अतिरिक्त पैसा नहीं वसूल किया जाएगा। इसको शर्तों में शामिल किया गया है। सभी बने हुए फ्लैट और बिना ओसी-सीसी के फ्लैट जिसमें खरीदार रह रहे हैं, उनकी रजिस्ट्री तीन महीने के अंदर हो जाएगी। बकाये का 25 प्रतिशत पैसा जमा करने के बाद रजिस्ट्री की अनुमति मिल जाएगी। इससे खरीदारों को मालिकाना हक मिलेगा। परियोजना पूरा कराने के लिए बिल्डरों को लाभ दिए गए हैं। उन्हें ऋण लेने के लिए मॉर्टगेज परमीशन दी जाएगी। इससे रुकी हुई परियोजनाएं पूरी हो सकेंगी। परियोजना पूरी होने से खरीदारों को आशियाना मिल सकेगा।

 

 

इस तरह से लागू करेंगे प्राधिकरण, कार्रवाई भी होगी

अगर कोई बिल्डर सहायक विकासकर्ता को रखना चाहता है तो उसके लिए उसे प्राधिकरण में आवेदन करना होगा। प्राधिकरण को इसमें 15 दिन के अंदर अपना निर्णय लेना होगा। परमिशन टू मॉर्टगेज के लिए 25 प्रतिशत धनराशि पहले जमा करनी होगी। मॉर्टगेज के पत्र में प्राधिकरण के बकाए का स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा। बकाया राशि को निर्माणाधीन और अनरजिस्टर्ड फ्लैटों की संख्या से गणना की जाएगी। उसके सापेक्ष पैसा आने पर रजिस्ट्रेशन की तत्काल अनुमति दी जाएगी। रजिस्ट्री से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फ्लैट या टॉवर की फायर एनओसी, स्ट्रक्चरल एनओसी एवं सभी जरूरी एनओसी या नहीं हैं। तीन माह के अंदर रजिस्ट्री कराने के लिए बिल्डर को प्रति फ्लैट आंकलित धनराशि जमा करनी होगी।

दोहरा लाभ नहीं मिलेगा

25 प्रतिशत पैसा जमा करने पर प्लान अप्रूवल और समय वृद्धि 15 दिन के अंदर दे दी जाएगी। जीरो पीरियड का लाभ देते समय यह भी ध्यान दिया जाएगा कि कहीं कोई बिल्डर दोहरा लाभ तो नहीं ले रहा है। अगर बिल्डर निर्धारित अवधि में फ्लैट खरीददार को कब्जा नहीं देता है या रजिस्ट्री नहीं करता है तो प्रस्तावित छूट को निरस्त माना जाएगा। यह केस टू केस निर्णय लिया जाएगा। बकाये पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त पेनाल्टी लगाई जाएगी। साथ ही ऐसे बिल्डरों को पांच वर्ष तक ब्लैक लिस्ट रखा जाएगा। उन्हें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में भूखंड आवंटन नहीं किया जाएगा।

 

इन परियोजनाओं पर लागू होगा पैकेज

प्राधिकरणों के ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट समिति की सिफारिशें लागू होंगी। ग्रुप हाउसिंग में यदि वाणिज्यिक हिस्सा है तो उसमें भी लागू होगा। टाउनशिप डेवलपमेंट प्रोजेक्ट भी इसके दायरे में रहेंगे। ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट अगर एनसीएलटी अथवा कोर्ट में है तो वह इस पैकेज का लाभ तभी ले सकते हैं, जब वह अपना केस वापस ले लेते हैं।

 

ये परियोजनाएं नहीं आएंगी जद में

स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट, रिक्रिएशन एंटरटेनमेंट पार्क योजना में शामिल ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में ये सिफारिशें लागू नहीं होंगी। इसके अलावा व्यावसायिक, संस्थागत ओर औद्योगिक परियोजनाओं में ये सिफारिशें से मान्य नहीं होंगी।

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