गोरखनाथ मंदिर पहुंचने पर CM योगी हो गए भावुक, छा गया सन्नाटा- बाद में बताई यह वजह

Alisba
श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ के आजीवन अध्यक्ष रहे महंत अवेद्यनाथ का सपना और जीवन की आखिरी इच्छा ही श्रीराम मंदिर निर्माण की रही। उनकी इस इच्छा को राम मंदिर आंदोलन की प्रेरणा से सन्यास मार्ग चुनने वाले उनके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ ने अपने जीवन का मिशन ही बना लिया। अपने संसदीय कार्यकाल में योगी ने सड़क से सदन तक राम मंदिर के लिए अलख जगाई।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। ढोल नगाड़ों की थाप पर श्रीराम चित्रांकित केसरिया ध्वजा लहराते, झूमते-नाचते युवा, महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे। सीएम की सवारी पर अहर्निश फूलों की बारिश। जगह-जगह सत्कार का नयनाभिराम नजारा पेश करते लोक कलाकारों के दल, मानव श्रृंखला बनाकर खड़े और जय श्रीराम, योगी जी को है धन्यवाद का गगनभेदी उद्घोष करता लोगों का उत्साहित हुजूम।
हृदयांकित भावनाओं का आवेग समेटकर, मंद मंद मुस्कनिया के बीच हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। सबकुछ। अभूतपूर्व, अनिर्वचनीय और अविस्मरणीय।
अवसर था अयोध्याधाम के नव्य, भव्य दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला नूतन विग्रह की अलौकिक, अविस्मरणीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सुफल आयोजन कराकर पहली बार गोरखधाम पधारे गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अभूतपूर्व अभिनंदन का।
संघर्ष और परिणाम तक गोरक्षपीठ की केंद्रीय भूमिका रही
यूं तो गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी बीते करीब सात साल से अपने गृह क्षेत्र गोरखपुर में आते ही रहते हैं। पर, शनिवार (27 जनवरी) को उनका आगमन उपलब्धि के उस शिखर को स्पर्श करने के बाद हुआ, जिसकी परिकल्पना, संघर्ष और परिणाम तक गोरक्षपीठ की केंद्रीय भूमिका रही।
यह उपलब्धि है करीब पांच सौ सालों की संघर्षमय प्रतीक्षा के बाद अयोध्याधाम में नव्य, भव्य, दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह की।
श्रीरामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन को रणनीतिक रूप देना हो, आंदोलन को विश्वव्यापी बनाकर निर्णायक दिशा देनी हो या फिर मंदिर को मूर्त रूप देकर श्रीरामलला के नूतन विग्रह की प्रतिष्ठा, हर विषम-सम स्थिति-परिस्थिति में नेतृत्व गोरक्षपीठ का ही रहा।