उत्तर प्रदेशलखनऊ

जगदीश गांधी: 5 बच्चों से शुरू किया था पढ़ाना, अब पढ़ते हैं 59 हजार, शादी में मेहमानों को खिलाई थी मिश्री

जगदीश गांधी वर्ष 1955 में स्नातक की पढ़ाई के लिए लखनऊ आए थे। अमर उजाला को दिए साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि वे लविवि के पास बने हुए मंदिर में रात गुजारते थे।

निजी विद्यालयों को एक नई बुलंदी पर पहुंचाने वाले डॉ. जगदीश गांधी ने शिक्षा जगत में अपना सफर पांच बच्चों के साथ शुरू किया था। 65 साल के कठिन परिश्रम, अनुशासन व समर्पण से उन्होंने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल को 21 शाखाओं में 59 हजार बच्चों का स्कूल बना दिया। डॉ. गांधी का जन्म अलीगढ़ जनपद के बरसौली गांव में 10 नवम्बर 1936 को हुआ था। उनकी माता स्व. बासमती देवी एक धर्म परायण महिला थीं। पिता स्व. फूलचंद अग्रवाल लेखपाल थे। उनको समाज सेवा की प्रेरणा उनके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चाचा प्रभु दयाल से मिली थी।

सिकंदराराव कस्बे के जीएस हिंदू इंटर कॉलेज से हाईस्कूल और मथुरा में चम्पा अग्रवाल कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। इसी दौरान उन्होंने सर्दियों के लिए कपड़े सिलवाने के लिए भेजे गए पैसों से अपने लिए टाट के मोटे कपड़े बनवाए तथा बाकी रुपये स्कूल के गरीब जमादार की दो बेटियों के विवाह के लिए दे दिए। कॉलेज के प्रिंसिपल केएन गर्ग ने उनको कॉलेज का सर्वश्रेष्ठ छात्र घोषित किया। जनवरी 1952 में अलीगढ़ में यूपी स्वीपर यूनियन के आह्वान पर लगातार 24 दिनों तक चली हड़ताल के दौरान डॉ. गांधी ने अलीगढ़ के तत्कालीन जिलाधिकारी केसी मित्तल से मिलकर समाज सेवा दल के 50 छात्र सदस्यों के साथ शहर में सफाई की। इस पर जिला प्रशासन ने उन्हें तत्कालीन राज्यपाल केएम मुंशी के हाथों 4,600 रुपये का पुरस्कार दिलाया था। इसका उपयोग उन्होंने जीएस हिंदू इंटर कॉलेज में समाज सेवा सदन का एक कमरा बनवाने में किया।

गांधीजी से प्रभावित होकर अपनाया गांधी सरनेम

डॉ. जगदीश गांधी अग्रवाल परिवार से थे। वह बचपन से ही महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित थे। महात्मा गांधी की हत्या के समय वे कक्षा 6 के छात्र थे। इसके बाद उन्होंने अपने पिता की सहमति से विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर अपना नाम जगदीश प्रसाद अग्रवाल से बदलकर जगदीश गांधी करवा लिया

अनोखी शादी में 10 रुपये की मिश्री का किया भोज

बिना किसी धनबल के चुनाव जीतने वाले जगदीश गांधी की शादी भी अनोखी रही। लविवि में ही एमएड की छात्रा भारती गांधी से उन्होंने विवाह किया। 15 जनवरी 1959 को हुई इस शादी में तत्कालीन राज्यपाल वीवी गिरि, मुख्यमंत्री सम्पूर्णानंद भी शामिल हुए थे। शादी में भोज के रूप कुल 10 रुपये की मिश्री एक थाली में रखी गई थी।

बहाई धर्म अपनाने पर किया राजनीति का त्याग

डॉ. गांधी लविवि में पढ़ाई के दौरान वर्ष 1959 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने। इसके बाद वर्ष 1969 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अलीगढ़ जनपद की सिकंदराराव सीट से विधायक चुने गए। चुनाव में पूरे उत्तर प्रदेश से कुल 11 निर्दलीय विधायक चुने गए। डॉ. गांधी ने इन 11 निर्दलीय विधायकों का एक उत्तर प्रदेश प्रगतिशील निर्दलीय विधायक दल बनाया। सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से डॉ. जगदीश गांधी को दल का अध्यक्ष चुना। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद उन्होंने उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को राष्ट्रपति चुनाव में स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में खड़ा कराया और चुनाव अभियान के उत्तर प्रदेश के इंचार्ज का दायित्व संभाला। इस चुनाव में वीवी गिरि विजयी हुए। इसके बाद डॉ. गांधी ने बहाई धर्म अपना लिया और धर्म की मान्यता के अनुरूप बेटी गीता की प्रेरणा पर राजनीति छोड़ दी।

पढ़ाई के लिए आए लखनऊ, जीवन भर पढ़ाते रहे

जगदीश गांधी वर्ष 1955 में स्नातक की पढ़ाई के लिए लखनऊ आए थे। अमर उजाला को दिए साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि वे लविवि के पास बने हुए मंदिर में रात गुजारते थे। पढ़ाई के बाद उन्होंने वर्ष 1959 में विद्यालय की स्थापना की। इस दौरान राजनीति में भी सक्रिय रहे, पर बाद में जीवन पर्यंत स्कूल के प्रति समर्पित रहे।

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