विदेशी फल को भा गयी देसी जमीन, डेढ़ साल में दूसरी बार लद गए पेड़, किसानों की खुल गयी किस्मत

किसानों ने यहां करीब 4.5 हेक्टेयर जमीन में डेढ़ साल पहले इसकी खेती शुरू की. किसानों ने प्रयोग के तौर पर करीब 2 हजार पौधे यहां लगाए. सिर्फ डेढ़ साल में ही ये पेड़ फलने लगे और दूसरी बार फल आना शुरू हो गया है. कश्मीरी बेर की खेती देखकर लोगों का खेती करने का रुझान बढ़ रहा है.
रिपोर्ट-कालू राम जाट
दौसा. राजस्थान की मरु भूमि में खेती में नये नये प्रयोग हो रहे हैं. यहां अब ऐसे फल की खेती की जा रही है जिसमें पानी कम से कम लगे और मुनाफा भरपूर हो. यहां के किसान थाई एप्पल जिसे कश्मीरी बेर भी कहते हैं, की खेती कर रहे हैं. कम समय में ही उन्हें ये फल खूब मुनाफा दे रहे हैं. आइए जानते हैं कैसे होती है इसकी खेती
पानी की बचत और आमदनी भी अच्छी हो तो ऐसी फसल की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है. कृषि विभाग की इसी सीख को दौसा जिले के किसानों ने अपना लिया है. यहां की ग्राम पंचायत जटवाड़ा में थाई एप्पल/ कश्मीरी बेर की खेती की जा रही है. कृषि वानिकी सब मिशन योजनांतर्गत इस फल के बगीचे किसानों ने लगवाए हैं.
डेढ़ साल में दूसरी बार फल
किसानों ने यहां करीब 4.5 हेक्टेयर जमीन में डेढ़ साल पहले इसकी खेती शुरू की. किसानों ने प्रयोग के तौर पर करीब 2 हजार पौधे यहां लगाए. सिर्फ डेढ़ साल में ही ये पेड़ फलने लगे और दूसरी बार फल आना शुरू हो गया है. कश्मीरी बेर की खेती देखकर लोगों का खेती करने का रुझान बढ़ रहा है.