उत्तर प्रदेशलखनऊ

फर्जी सर्टिफिकेट पर 41 साल पुलिस की नौकरी, यूं खुली ‘नटवरलाल’ की पोल, रिटायरमेंट से 2 साल पहले सजा

इंदौर में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र लगाकर पुलिस की नौकरी पाने वाले एक सिपाही को जिला न्यायालय ने 10 साल की सजा सुनाई है. आरोपी सिपाही पिछले 41 साल से फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहा था. उसकी नौकरी लगने के 23 साल बाद इस मामले में शिकायत मिली. उसके 18 साल के बाद कोर्ट का फैसला आया है.

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में फर्जीवाड़े का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां एक पुलिसकर्मी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर पिछले 41 साल से नौकरी कर रहा था. पुलिस विभाग में उसके भर्ती होने के 23 साल बाद एक शिकायत मिली कि आरोपी सिपाही ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र जमा कराया है. इसके बावजूद पुलिस को इस मामले की जांच में 6 साल लग गए.

दिलचस्प बात ये है कि उसके बाद 12 साल कोर्ट की कार्रवाही में लग गए. इस तरह 41 साल के बाद यह साबित हो पाया कि आरोपी सिपाही ने पुलिस महकमे को धोखा दिया और फर्जीवाड़ा करके नौकरी कर रहा था. कोर्ट ने उसके रिटायरमेंट से महज 2 साल पहले 10 साल की सजा सुनाई है. 4 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. 

साल 2006 में आरोपी सिपाही सत्यनारायण वैष्णव के खिलाफ इंदौर के छोटी ग्वालटोली थाने में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज हुआ था. इस मामले की जांच कर रही कमेटी ने उसे दोषी पाया कि वो फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहा है. पुलिस की जांच कमेटी ने 18 दिसंबर 2013 को कोर्ट में चालान पेश किया था. इसके बाद कोर्ट में ट्रायल चला. अब जाकर 2024 में इस मामले में फैसला आया है.

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