अम्बेडकरनगरउत्तर प्रदेशराज्य

मनरेगा के अंतर्गत किए गए घोटाले का पर्दाफाश

ब्लाक रामनगर का मामला

दैनिक जस्ट एक्शन
मुकुल कुमार गौतम
जिला क्राइम रिपोर्टर अंबेडकर नगर

अम्बेडकरनगर
जनपद के विकासखंड रामनगर की ग्राम पंचायत अरमा में 2021 में मनरेगा के अंतर्गत किए गए घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। ग्राम पंचायत अरमा में एक चक मार्ग पर कार्य करने के नाम पर जुलाई 2021 में 70992 रुपए का भुगतान किया जा चुका था पुणे अक्टूबर 2021 में इस कार्य के नाम पर 56304 का एक और भुगतान कर लिया गया। यह प्रकरण ऑडिट में सामने आया। तो विकास खंड रामनगर में तैनात लेखाकार जितेंद्र पांडे ने आनंन फानन में कार्यक्रम आधिकारी/ खंड विकास अधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया की उक्त अवैधानिक भुगतान के दोषी रोजगार सेवक ग्राम प्रधान एवं सचिव हैं जिनसे बराबर बराबर धनराशि की वसूली कर जांच कराते हुए नियमानुसार प्रथिमिकी दर्ज करने की कार्यवाही की जाए और विकासखंड में तत्काल किसी लेखा सहायक की तैनाती या संबद्धता की जाए।बिना लेखा सहायक की तैनाती के भविष्य में मेरे द्वारा मनरेगा का कार्य किया जाना संभव नहीं होगा। परंतु जितेंद्र पांडे ने अपने उक्त पत्र में यह नहीं बताया कि वह उस समय दो विकास खंडों रामनगर एवं जलालपुर में लेखाकार का कार्यभार देख रहे हैं एक विकासखंड से लेखाकार के दायित्व से कार्य मुक्त किया जाए। तत्कालीन खंड विकास अधिकारी सुभाष सरोज ने उसी दिन वसूली आदेश पत्र 420 द्वारा ग्राम रोजगार सेवक श्रीमती बबीता ग्राम प्रधान उषा देवी एवं सचिव शिव प्रकाश मिश्रा को 18768 रुपया बराबर बराबर तीनों को उत्तर प्रदेश ग्रामीण रोजगार समिति के खाते में जमा करने का निर्देश दिया। उषा देवी ग्राम प्रधान द्वारा अगले ही दिन 7 जून 2022 को बताए गए खाते में पैसा जमा कर दिया। शाहिद मुनीर सिद्दीकी द्वारा शिकायत दी गई थी गबन के आरोपी लेखाकार एवं खंड विकास अधिकारी हैं तो वसूली रोजगार सेवक ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव से कैसे की जा रही है जिस पर खंड विकास अधिकारी ने 15 दिसंबर 2022 एवं जिला विकास अधिकारी ने 12 जनवरी 2023 को बताया कि गबन के आरोपी सचिव शिवप्रकाश मिश्रा ग्राम प्रधान उषा देवी एवं तकनीकी सहायक देव कुमार वर्मा है जिसमें से उषा देवी ने पैसा जमा कर दिया तकनीकी सहायक एवं ग्राम पंचायत सचिव से वसूली की जा रही है जबकि इससे पहले वसूली आदेश में देव कुमार वर्मा तकनीकी सहायक का नाम नहीं था वहां रोजगार सेवक का नाम था इस पत्र में रोजगार सेविका का नाम काट के तकनीकी सहायक का नाम डाला गया। फिर से शिकायत करके जब विभागीय अधिकारी से जांच करने की मांग की गई तो उपायुक्त श्रम रोजगार आर पी मिश्रा ने 23 दिसंबर 2023 को अपनी रिपोर्ट में बताया कि ग्राम प्रधान उषा देवी ने 18768 रुपया खाते में जमा कर दिया रोजगार सब का बबीता ने₹10000 खाते में जमा किया और शिव प्रकाश मिश्रा ने ₹6000 खाते में जमा किया है। इनकी रिपोर्ट में तकनीकी सहायक देव कुमार वर्मा का नाम ही नहीं है। दिलचस्प खबर यह है कि बार-बार आरोपियों के नाम पदनाम बदले जा रहे हैं और गबन की राशि टुकड़ों टुकड़ों में जमा कराई जा रही है। उषा देवी ग्राम प्रधान से बात करने का प्रयास किया गया तो संपर्क नहीं हो सका श्रीमती बबीता रोजगार सेविका ने बताया कि उन्होंने कोई ऐसी पत्रावली प्रस्तुति नहीं की थी तो गबन का आरोप और धनराशि जमा करने का तो प्रश्न ही नहीं उठाता। हमने कई बार विभाग को इस संबंध में अवगत करा दिया है जो धनराशि मेरे नाम से जमा की गई दिखाई जा रही है वह मैं ने नहीं जमा की है। जब यह प्रकरण उठा था तो हमने अकाउंटेंट साहब से पत्रावली मांगी थी कि कौन सी पत्रावली जमा करके हमने दोहरा भुगतान लिया है हमें जब तक पत्रावली नहीं दिखाई जाएगी हम कोई आरोप नहीं मानेंगे आज तक श्रीमती बबीता को कोई पत्रावली दिखाई नहीं गई इसलिए उन्होंने कोई पैसा जमा नहीं किया। तकनीकी सहायक देव कुमार वर्मा ने भी बताया कि उनका नाम एक बार वसूली में डाला गया था परंतु उन्होंने भी कहा कि हमारे हस्ताक्षर सुधा कोई पत्रावली हो तो दिखाइए ऐसे अनर्गल आतोप पर हम धनराशि जमा नहीं करेंगे उसके बाद हमारा नाम वसूली आदेश से काट दिया गया। सचिव शिवप्रकाश मिश्रा ने भी बताया की हमें फर्जी फंसाया जा रहा है हमने कोई प्त्रालावली प्रस्तुत ही नही की। ऑडिटर ने भी हम पर कोई आरोप नहीं लगाया था यह सब कार्यालय द्वारा किया जा रहा है। आरोप प्रत्यारोप के बीच 56304 के गवन की जांच विकासखंड से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा की जा चुकी लेकिन आज तक यही नहीं पता चला कि गबन के लिए जो पत्रावली प्रस्तुत की गई थी वह कहां है उसपर किसके हस्ताक्षर थे या बिना किसी पत्रावली के ही 56304 का भुगतान कर लिया गया । सबसे रोचक तथ्य है कि जिन लोगों के नाम से गबन की राशि खाते में जमा की जा रही है वह लोग इनकार कर रहे हैं कि उन्होंने कभी खाते में पैसा जमा ही नहीं किया वह तो आज तक आरोप को स्वीकारा ही नहीं यह बात सच इसलिए लगती है कि यदि आरोप सिद्ध हो गया और लोग पैसा जमा कर रहे हैं तो उनके विरुद्ध पुलिस में प्राथमिक दर्ज कराई जानी चाहिए थी। लेकिन सच्चाई यह है कि किसी ने आज तक आरोप स्वीकार ही नहीं किया ना पैसा जमा किया इसमें जो मुख्य आरोपी है जिन्होंने फर्जी भुगतान कर लिया है वह लोग पकड़े जाने के डर से दूसरों को आरोपी बनाकर उनके नाम से थोड़ा-थोड़ा पैसा जमा करके शिकायत को टरकाना का प्रयास कर रहे हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी/कलेक्टर ही इसमें कुछ कर सकते हैं वह भुगतान करने वाले अधिकारियों को तलब करके अगर चाहे तो प्रकरण की सच्चाई पता लगा सकते हैं कि किस पत्रावली के आधार पर किनके द्वारा यह भुगतान किया गया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button