
मणिपुर के चंदेल जिले में बुधवार को असम राइफल्स और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस दौरान सैनिकों पर संदिग्ध हथियारबंद उग्रवादियों ने फायरिंग की। इसकी जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने 10 कैडरों को मार गिराया है। इस एनकाउंटर के बाद सेना की पूर्वी कमांड ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा, ‘भारत-म्यांमार सीमा के पास चंदेल जिले के खेगजॉय तहसील के न्यू समतल गांव के पास सशस्त्र कैडरों की आवाजाही की खुफिया विशेष जानकारी मिली। इस पर एक्शन लेते हुए 10 उग्रवादियों को ढेर कर दिया गया है।’ मणिपुर के चंदेल जिले में इस अभियान के बारे में भारतीय सेना ने बताया कि स्पीयर कोर क तहत आने वाली असम राइफल्स की इकाई ने 14 मई 2025 को एक ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेश के दौरान, सैनिकों पर संदिग्ध कैडरों ने गोलीबारी की।
उग्रवादियों के पास से गोला बारूद बरामद
पूर्वी कमांड ने आगे अपने ट्वीट में कहा, “जवाबी कार्रवाई में जवानों ने संयम और रणनीति के साथ फायरिंग की। इस एनकाउंटर में 10 उग्रवादियों को मार गिराया गया है।” सेना ने इस दौरान यह भी बताया कि उग्रवादियों के पास से भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद किया गया है। इस ऑपरेशन को कैलिब्रेटेड यानी योजनाबद्ध बताया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इलाके में और भी ज्यादा उग्रवादियों के छिपे होने की आशंका के बाद असम राइफल्स द्वारा सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसी दौरान असम राइफल्स के जवानों पर उग्रवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। यह कार्रवाई मणिपुर में जारी अशांति के बीच सुरक्षाबलों की ओर से एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
Acting on specific intelligence on movement of armed cadres nearby New Samtal village, Khengjoy Tehsil, #Chandel District near the #Indo_MyanmarBorder, #AssamRifles unit under #SpearCorps launched an operation on 14 May 2025.
During the operation,… pic.twitter.com/KLgyuRSg11
— EasternCommand_IA (@easterncomd) May 14, 2025
जोलैंड राज्य बनाने का सपना
बता दें कि उग्रवादी संगठनों द्वारा भारत-म्यांमार सीमा वाले इलाके में जोलैंड राज्य बनाने का प्रयास लंबे समय से किया जा रहा है। हालांकि बीते दिनों भारत सरकार और भारतीय सेना ने म्यांमार को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला लिया। सेना और सरकार ने म्यांमार बॉर्डर को पूरी तरह से सील कर दिया और फ्री मूवमेंट रिजीम को खत्म कर दिया। इससे जोलैंड राज्य बनाने का सपना भी टूट गया। बता दें कि नागा और कुकी जनजातियों द्वारा बीते दिनों इसका विरोध भी किया गया। हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बीते दिनों केंद्र सरकार और सेना द्वारा यह फैसला लिया गया था।