उत्तर प्रदेशलखनऊ

भारत माला परियोजना के जमीन अधिग्रहण का मामला, मुआवजे को लेकर बढ़ रहा ग्रामीणों में आक्रोश

आज आईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने उक्त परियोजना के लिए रेवंसा, बरहुली, कठौरी, नई कोट, खरगीपुर, लौदा, हिरावनपुर सहित कई गांवों के किसानों जिनकी जमीन को अधिग्रहण किया जा रहा हैं।

बसपा नेता के साथ अजय राय ने किया गांवों का दौरा

विकास के नाम पर छीनी जा रही कीमती जमीन

कम दिया जा रहा है आज के रेट से मुआवजा

किसानों को भूमिहीन बना रही सरकार

चंदौली जिले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग भारत माला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में जहां सरकार व प्रशासन संसद में बने भूमि अधिग्रहण कानून का पालन नहीं कर रही हैं। वहीं भाजपा सरकार विकास के नाम पर और जाम से मुक्ति दिलाने के नाम पर किसानों को भूमिहीन बना रहीं हैं।

इस बारे में आज आईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने उक्त परियोजना के लिए रेवंसा, बरहुली, कठौरी, नई कोट, खरगीपुर, लौदा, हिरावनपुर सहित कई गांवों के किसानों जिनकी जमीन को अधिग्रहण किया जा रहा हैं। उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून के तहत उचित मुआवजा न मिलने पर किसानों की तरफ से मुआवजे की मांग उठाया।

गांव में पहुंचे ने कहा कि यह सरकार किसानों को छल रही है। जहां रेवसां के किसानों को मात्र 3.57 लाख की रेट दे रही है। बरहुली के किसानों को 1.70 लाख , देवई के किसानों को 1.40 लाख, कठौरी के किसानों को 1.50, लौंदा के किसानों को 2.40 के रेट से मुआवजा मिल रहा हैं, जो मौजूदा रेट से बहुत ही कम है। किसानों के पेट पालने की मुख्य जरिया खेती ही है। भूमि अधिग्रहण करने व अधिग्रहण की जमीन का उचित मुआवजा न मिलने से किसानों में काफी आक्रोश है।

आज आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय व कई बार रह चुके जिला पंचायत सदस्य तिलकधारी बिन्द ने रेवसां, बरहुली, कठौरी, लौंदा सहित कई गांवों का दौरा किया और बरहुली में किसानों के बीच बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार किसानों को छलने का काम कर रही है। किसानों को उचित मुआवजा न देना किसानों का शोषण है। संसद में बने भूमि अधिग्रहण कानून का भी उलंघन है। जहां एक ओर भाजपा सरकार किसानों के लिए बड़ी बड़ी बातें करती है, वहीं सच्चाई यह है कि उनका दमन व शोषण भी कर रही है। संसद में भूमि अधिग्रहण कानून बनाते समय सरकार ने वादा किया था कि भूमि अधिग्रहण उपजाऊ व कीमत की जमीन का बहुत जन कल्याणकारी योजनाएं होंगी तभी अधिग्रहण होगा। भूमि अधिग्रहण जिन किसानो का सबसे अधिक नुकसान हो रहा है, उसमें बरहुली के किसान शामिल हैं।

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