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संस्कारी परिवार के लक्षण–राकेश कुमार प्रजापति

जहाँ स्नेह का हो सदा ही बंधन।

संस्कारों से सजा हुआ हर आँगन,

जहाँ स्नेह का हो सदा ही बंधन।

बड़ों का मान, छोटों का दुलार,

संस्कारी परिवार का यह आधार।

प्यार में पगी हर बात हो,

हर रिश्ते में अद्भुत सौगात हो।

आदर और सम्मान का वास,

संस्कारों से सजता है हर खास।

घर वो नहीं, जो दीवारों से बनता,

घर वो है, जो रिश्तों में बसता।

जहाँ सत्य का दीप जलता रहे,

हर मन में ईश्वर सा बसता रहे।

संस्कार सिखाते बड़ों की सेवा,

मधुर वचन हो जीवन का मेवा।

जहाँ हर सुबह होती प्रार्थना से,

हर दुःख मिटता अपनापन से।

झूठ-फरेब को जहाँ जगह न मिले,

हर दिल सच्चाई के साथ खिले।

संस्कारी परिवार का यह नारा,

“प्यार और सत्य हमारा सहारा।”

जहां दूसरों का आदर, अपनी परवाह,

संस्कारों में बसी है घर की चाह।

ऐसा परिवार बने हर जगह,

जहाँ हर मन हो संस्कारों में रमा।

             राकेश कुमार प्रजापति

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