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ठिठुरती ठंड और नया साल
पुरानी यादें पन्नों में समेटें, नए वादों से दिलों को हम भेंटें। आओ मिलकर नया साल मनाएं, प्रकृति संग ठंड की गोद में समाएं।

ठिठुरती ठंड और नया साल
ठिठुरती ठंड का आलम है छाया,
कोहरा ओढ़े धरती का काया।
सूरज भी जैसे कहीं छिप गया,
सन्नाटे में हर गाम थम गया।
हवा के झोंके संग ठिठुरन लाते,
आग की लौ में सब राहत पाते।
गर्म चाय की प्याली में सुकून,
घर में दुबके हैं सब, ये है जूनून।
अंग्रेजी नया साल दरवाजे पर खड़ा,
उम्मीदों का कारवां फिर से बड़ा।
नए सपनों की झोली सजाए,
हर दिल में खुशियों के दीप जलाए।
पुरानी यादें पन्नों में समेटें,
नए वादों से दिलों को हम भेंटें।
आओ मिलकर नया साल मनाएं,
प्रकृति संग ठंड की गोद में समाएं।
सर्दी के साथ हो गर्मजोशी का एहसास,
हर दिन बने खास, हर पल मिले आस।
नए साल की दस्तक को करें सलाम,
खुशियों से भरें अपना हर एक काम।
राकेश कुमार प्रजापति