झलकारी बाई के आजादी में योगदान को याद कर किये श्रद्धा सुमन अर्पित

ब्यूरो चीफ हमीरपुर
हरीश राज चक्रवर्ती
हमीरपुर। आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे सुमेरपुर कस्बे में विमर्श विविधा के अन्तर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत विलक्षण सोच और संघर्ष की साक्षी झलकारी बाई की जयन्ती पर अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि झलकारी बाई सही अर्थों मे एक देशपरायण देशधर्मी बहादुर महिला थी। झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर 1830 को झांसी के निकट भोजला गांव मे सदोवर सिंह और जमुना देवी के घर हुआ था। झलकारी बाई को उनके पिता ने हथियार चलाना सिखाया। जंगल मे हंसिये से तेन्दुए को मार गिराना, गांव में पडी डकैती मे मुखिया को बचाते हुये डाकुओं को मारकर भगा देने सहित इनकी बहादुरी के कारण झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जाबांज सैनिक पूरन कुटार से इनकी शादी हुई थी। गोरों और रानी के मध्य झांसी के किले के बाहर भीषण युद्ध में पीर अली और दुल्हाजू की भितरघाती के कारण रानी की हार होने पर हमशक्ल झलकारी बाई की सूझबूझ से रानी किले से सुरक्षित निकलकर कालपी गयीं थी। बताते हैं कि जनरल ह्यूज जैसे सैन्य अधिकारी को झलकारी ने भ्रम मे डाल दिया था लेकिन भितरघातियों के कारण अंग्रेजों ने इन्हें जेल मे डाल दिया था। ऐसी मान्यता है कि ये बाद मे गोलाबारी मे वीरगति को प्राप्त हुई। देश के प्रति इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। कार्यक्रम में अवधेश कुमार गुप्त एडवोकेट, अशोक अवस्थी, दिलीप अवस्थी, अभयप्रताप सिहं, सिद्धा, प्रेम कुमार प्रजापति, मोतीलाल प्रजापति, दस्सी, वकील सोनकर आदि शामिल रहे।