अन्य

चालबाज प्रेमिका–राकेश कुमार प्रजापति

हंसी में छुपे थे धोखे हजार

हंसी में छुपे थे धोखे हजार,

आंखों में जादू, मगर छल का व्यापार।
हर बात में मीठा जहर घोल देती,
चालबाज प्रेमिका, दिल तोड़ देती।

वादों का जाल बुनकर फंसा लिया,
सपनों का महल बना कर ढहा दिया।
हर एक कदम पर नया खेल रचती,
इश्क के नाम पर साजिश रचती।

उसकी हंसी में था एक राज गहरा,
दिल से नहीं, खेला उसने बस चेहरा।
कसमों के कागज हवा में उड़ा दिए,
चाहत के रिश्ते यूं ही भुला दिए।

पर अब समझा हूं उसकी सच्चाई,
चालों से भरी थी उसकी परछाई।
दर्द सिखा कर जो सबक दे गई,
वो चालबाज प्रेमिका कहानी कह गई।

अब दिल संभाल कर रखना होगा,
हर नकाब के पीछे झांकना होगा।
प्रेम का चेहरा सच्चा जो होगा,
वो चालबाज नहीं, सच्चा साथी होगा।

राकेश कुमार प्रजापति

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button