Bijnor News: खंडहर बता रहे हैं, चर्च की इमारत कभी बुलंद रही होगी

- पुरातत्व विभाग और प्रशासन ने नहीं ली चर्च की कोई सुध
- – 1925 के आसपास हुआ था झालू में चर्च का निर्माण
- – 1965 के बाद चर्च में नहीं हुई किसी पादरी की नियुक्त
- संवाद न्यूज एजेंसी
- झालू। कस्बे में लगभग एक शताब्दी पहले बना चर्च अब लगभग खंडहर हो चुका है। खंडहरों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि चर्च की इमारत कभी बुलंद रही होगी। चर्च की सुध न तो पुरातत्व विभाग ने ली है और न ही जिला प्रशासन ने चर्च को बचाने का कोई प्रयास किया है।
- झालू में एक प्राचीन चर्च है। कस्बे के रहने वाले बुजुर्ग संतोष कुमार गोयल बताते हैं कि यह चर्च कभी अपनी चमक-दमक के लिए पूरे जनपद में प्रसिद्ध था। चर्च का निर्माण लगभग 1925 के आसपास हुआ था। उस समय काफी संख्या में अंग्रेज सैनिक झालू और आसपास रहते थे। झालू की भूमि मौसम के लिहाज से अंग्रेजों के लिए बेहद मुफीद थी। इस कारण काफी मात्रा में अंग्रेजी सैनिक और अधिकारी झालू में अपना आशियाना बना लेते थे। चर्च में प्रतिदिन प्रार्थना होती थी। इतना ही नहीं यहां पादरी भी तैनात थे।
- बुजुर्ग जियाउल हसन बताते है कि देश की आजादी के बाद 1965 के आसपास चर्च में अंतिम पादरी बेली रहे। उनके बाद यहां कोई भी पादरी नियुक्त नहीं हुआ। झालू के पुराने लोग बताते हैं कि बेली की पुत्रवधू जिला अस्पताल में नर्स रही और उनके पुत्र रेलवे में तैनात रहे।
- – क्रिसमस मनाने के लिए सजा रहे चर्च
मास्टर गिरिराज सिंह का कहना है कि पूरे विश्व में क्रिसमस मनाने के लिए लोग उत्साहित हैं और चर्च को सजा रहे हैं। वहीं झालू में क्रिसमस पर भी चर्च की सुध लेने वाला कोई नहीं है। चर्च पूरी तरह से खंडहर हो गया।
– चर्च की भूमि पर अवैध कब्जे का प्रयास
चर्च में एक व्यक्ति सफाई का काम करता है। वह खुद को बेली का परिजन बताता है। सूत्रों के अनुसार नहटौर रोड पर चर्च की लगभग साढ़े चार बीघा जमीन कब्रिस्तान के रूप में पड़ी हुई थी। जो नगर पंचायत के कागजों में भी दर्ज बताई जाती है। जिस पर भू माफियाओं की नजर है। जिसकी सुध लेने को कोई भी तैयार नहीं है।
– चर्च की भूमि बचाने के लिए बनाई कमेटी, लेकिन नहीं बनी बात
जनपद में दो समूह इसाइयों के हैं। एक मेथोडिस्ट और दूसरे कैथोलिक समूह हैं। मेथोडिस्ट बिजनौर चर्च के फादर ने उक्त कब्रिस्तान की भूमि के लिए एक कमेटी भी बनाई गई थी। जिस पर काफी समय तक विवाद रहा था। जिसकी कोई सुध लेने वाला नहींं है।