Ayodhya Ram Mandir : भारत के शक्ति केंद्र, स्मृति के जागरण की प्राण प्रतिष्ठा; पुनर्जीवित हो रही है मर्यादा

Alisba
हिंदुओं के एक वर्ग या बड़े आचार्यों या हिंदू नामधारी सेकुलरों के हिंदू मंदिर विरोध में कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। गजनवी से पुर्तगालियों तक उसका देश और धर्म से विमुख एक स्वार्थी भाव रहा है, जिसे पिछली शताब्दी में लाल, बाल, पाल, विवेकानंद, अरविंद, दयानंद, सावरकर ने बदला और डॉ. हेडगेवार ने उसे एक सैन्य अनुशासन में ढालने का असाधारण व अभूतपूर्व कार्य किया।
हर काल में हिंदू का राष्ट्र और धर्म के समन्वय से युक्त जागरण कठिन, प्रायः असंभव और जटिल रहा है। ढाई हजार मील दूर अनुल्लेखनीय कस्बे गजनी से एक लुटेरा महमूद प्रभास पाटन आता है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण मंदिर तोड़ता है। इतनी बड़ी संख्या में हिंदू स्त्री और पुरुषों को दास बनाकर ले जाता है कि बगदाद में गुलामों का मूल्य गिर गया। लूट का सामान अलग ले जाता है। मार्ग में सब हिंदू खड़े हुए…सुहेलदेव अपवाद हैं।
बाकी! कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का जय सोमनाथ उपन्यास पढ़ा है। उन्होंने उच्च ब्राह्मण कुलोत्पन्न शिव राशि के चरित्र का उल्लेख किया है, जो गजनवी को हिंदू संघ की परमार राजाओं के नेतृत्व में खड़ी सेनाओं से बचाकर सोमनाथ मंदिर के भीतर ले आया था। जीती बाजी हिंदू हार गए। क्रूर व अमानुषिक अत्याचारों के लिए कुख्यात पुर्तगालियों ने गोवा पर चार सौ वर्ष लगातार शासन किया। पणजी में आज भी एक हाथ कातरो खंभ है, जहां उन हिंदुओं के हाथ काटे जाते थे, जिनके घर पर तुलसी का पवित्र पौधा पूजित होता था। उस भयानक काल से गुजरकर अगर आज हिंदू समाज धर्म और राष्ट्र से जुड़ा दिखता है, तो यह आठवां आश्चर्य है।
हिंदुओं के एक वर्ग या बड़े आचार्यों या हिंदू नामधारी सेकुलरों के हिंदू मंदिर विरोध में कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। गजनवी से पुर्तगालियों तक उसका देश और धर्म से विमुख एक स्वार्थी भाव रहा है, जिसे पिछली शताब्दी में लाल, बाल, पाल, विवेकानंद, अरविंद, दयानंद, सावरकर ने बदला और डॉ. हेडगेवार ने उसे एक सैन्य अनुशासन में ढालने का असाधारण व अभूतपूर्व कार्य किया।