उत्तर प्रदेशलखनऊ

Bihar Politics: सीट शेयरिंग पर लालू और खरगे के बीच फाइनल डील आज, कांग्रेस की मांग 10 की पर मिलेंगी सिर्फ इतनी

Bihar News बिहार में महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर सोमवार को बैठक होने वाली है। बहुत संभव है कि सोमवार को दिल्ली में होने वाली इस बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर सहमति बन जाए। पहले चरण में बिहार में जिन चार संसदीय क्षेत्रों में चुनाव होना है उनमें से दो सासाराम और औरंगाबाद पर कांग्रेस दावेदारी कर है।

पटना। पहले चरण में बिहार में नक्सल प्रभावित जिन चार संसदीय क्षेत्रों में चुनाव होना है, उनमें से दो (सासाराम और औरंगाबाद) पर कांग्रेस की दावेदारी है। बिहार के दो दिग्गज राजनीतिक परिवारों की प्रतिष्ठा से जुड़ी वे उसकी परंपरागत सीटें हैं। बहुत संभव है कि महागठबंधन में वे दोनों सीटें उसे मिल जाएं। उनके साथ बिहार कांग्रेस की अपेक्षा कुल दस सीटों की है।

राजद और वाम दलों के दबाव में इतनी गुंजाइश शायद नहीं बने, लेकिन आठ सीटों पर वह अपनी दावेदारी को लगभग पक्की मान रही। बहुत संभव है कि सोमवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में उन सीटों के लिए सहमति बन जाए। सामाजिक समीकरण और जिताऊं उनमें से कुछ संसदीय क्षेत्रों में तो दावेदार जनसंपर्क भी शुरू कर चुके हैं।

 

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह दिल्ली स्थित आवास पर बैठक होनी है। प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश और स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष राणा केपी सिंह के साथ विचार-विमर्श के बाद राजद के प्रतिनिधियों से बात होगी। यह बात लगभग आखिरी सहमति तक पहुंचने वाली होगी।

खरगे लगाएंगे मुहर आखिरी मुहर

उल्लेखनीय है कि शनिवार को पटना में 54 सदस्यीय प्रदेश चुनाव समिति के साथ राणा की बैठक हुई थी। सीटों पर समझौते और प्रत्याशियों की घोषणा के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अधिकृत किए गए थे। सोमवार को बैठक में जो तय होगा, खरगे लगभग उसी पर अपनी मुहर लगाएंगे।

नवादा पूर्वी चंपारण समेत इन सीटों पर कौन?

नवादा और पूर्वी चंपारण पर राजद के आगे कांग्रेस की इच्छा नहीं चलने वाली। पश्चिमी चंपारण के लिए संभावना बन रही है। ऐसे में वाल्मीकिनगर से मोह त्याग करना होगा। पटना साहिब कांग्रेस को बहुत पसंद नहीं है। समस्तीपुर में पिछले चुनाव तक वह मुकाबले में रही है। इस बार उसके छीन जाने की प्रबल आशंका है।

 

फायर ब्रांड कन्हैया कुमार का क्या होगा?

फायर ब्रांड कन्हैया कुमार के लिए बेगूसराय की अपेक्षा है, लेकिन वाम दलों की दावेदारी आड़े आ रही। कटिहार में भी ऐसी अड़चन है। हालांकि, कांग्रेस वहां अपनी दावेदारी नहीं छोड़ रही। तारिक अनवर के एक बार फिर वहां से दांव आजमाने की संभावना है। प्रियंका गांधी से निकटता के आधार पर पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तौकीर आलम भी हाथ-पैर मार रहे। सांसद मो जावेद की किशनगंज सीट पक्की है।

 

सुपौल और पूर्णिया में से एक ही आएगी कांग्रेस के हाथ

सुपौल और पूर्णिया में से कोई एक सीट मिल सकती है। राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पसीना बहा रहे। मुजफ्फरपुर में विधायक विजेंद्र चौधरी तो लगातार क्षेत्र में बने हुए हैं। मधुबनी के लिए पूर्व मंत्री कृपानाथ पाठक की चर्चा है।

सासाराम और औरंगाबाद का क्या? 

सासाराम से मीरा कुमार का नाम अभी दरकिनार नहीं हुआ है, लेकिन उनके मजबूत विकल्प पर विचार चल रहा। औरंगाबाद के लिए भी अंतिम निर्णय नहीं हुआ। पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार की उस सीट पर कई दावेदार हैं। राजद की इच्छा है कि वहां कुशवाहा बिरादरी का प्रत्याशी हो। पिछली बार महागठबंधन में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा से उपेंद्र प्रसाद ने अच्छी टक्कर दी थी।

 

 

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