जमीन कब्जाने में पुलिस ने की मदद: डीएम ने की कार्रवाई की संस्तुति, किसी थाने में दो साल नहीं मिलेगा प्रभार

पहले जमीन कब्जाने और फिर पीड़ित के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कराने के मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मामले में आरोपी पुलिसकर्मी को अगले दो साल तक कहीं भी तैनाती न देने की संस्तुति की गई है।
जमीन कब्जा कराने में उतरौला पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जांच में पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठे हैं। राम प्रताप वर्मा के घर पर दूसरे को कब्जा कराने में पुलिस ने कई हथकंड़े अपनाए। प्रशासन ने होली के दो दिन पहले मकान को कब्जा मुक्त करा दिया साथ ही पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
उतरौला कोतवाल संजय दुबे को दो सालों तक प्रदेश के किसी जिले में थानों का प्रभार न दिए जाने की संस्तुति जिलाधिकारी ने की है। उन्होंने शासन को रिपोर्ट भेजी है। माना जा रहा है जल्द ही बड़ी कार्रवाई होगी। जिलाधिकारी अरविंद सिंह पुलिस की करतूत से खासे नाराज हैं।
हाईकोर्ट की ओर से कड़ी टिप्पणी के बाद थाने की पुलिस पर कार्रवाई तेज कर दी है। डीएम की मानें तो पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, यहां तक की कोतवाल संजय दुबे की भूमिका संदिग्ध रही। सबसे गंभीर बात तो यह रही कि कब्जा कराने के लिए पीड़ित के ही विरूद्व पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी। जिससे वह सामने न आ सके।
जनवरी में डीएम ने जांच कराई तो मामला सामने आया। डीएम ने बताया कि ऐसे कोतवाल को थाने का प्रभार देना कानून व्यवस्था के लिए उचित नहीं हैं। उन्होंने बताया कि जिले में ही नहीं संबंधित कोतवाल को प्रदेश के किसी जिले में दो साल तक थाने का प्रभार न मिले। इसके लिए पुलिस नियमावली के तहत कार्रवाई की जा रही है।