Lok Sabha Election 2024: कानपुर में ब्राह्मण-मुस्लिम समीकरण से कांग्रेस की पसंद बन गए आलोक, 42 साल पहले पार्टी की थी ज्वाइन

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में आखिरकार ब्राह्मण पर ही दांव चल दिया है। इसके पीछे सपा से गठबंधन में मुस्लिम-ब्राह्मण समीकरण को माना जा रहा है। सपा के पास वर्तमान में कानपुर की तीन विधानसभा सीटें आर्यनगर सीसामऊ व छावनी हैं जबकि किदवई नगर व गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्रों में ब्राह्मण मतदाता सबसे अधिक हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व का मानना है कि आलोक ब्राह्मण वोटों में सेंध लगाएंगे।
कानपुर। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में आखिरकार ब्राह्मण पर ही दांव चल दिया है। इसके पीछे सपा से गठबंधन में मुस्लिम-ब्राह्मण समीकरण को माना जा रहा है।
सपा के पास वर्तमान में कानपुर की तीन विधानसभा सीटें आर्यनगर, सीसामऊ व छावनी हैं, जबकि किदवई नगर व गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्रों में ब्राह्मण मतदाता सबसे अधिक हैं।
ऐसे में पार्टी नेतृत्व का मानना है कि आलोक ब्राह्मण वोटों में सेंध लगाएंगे, जबकि मुस्लिम में भी पकड़ बनेगी। तीन दिन पहले ही उनका नाम तय कर लिया गया था, केवल सूची आनी ही बाकी थी।
सपा से गठबंधन के बाद कांग्रेस को कानपुर लोकसभा सीट मिली है। पहले पार्टी यहां से पूर्व विधायक अजय कपूर को मैदान में उतारने का मन बना चुकी थी, लेकिन ऐन मौके पर वो भाजपा में चले गए। इसके बाद घाव खाई कांग्रेस ने टिकाऊ प्रत्याशी की तलाश शुरू की।
इस परीक्षा में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य आलोक मिश्रा सफल हो गए। गुरुवार को ही उनके नाम पर केंद्रीय नेतृत्व ने मुहर लगा थी, लेकिन सूची शनिवार रात जारी हुई। आलोक को प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे दो वजहें हैं।
पहली, पार्टी वर्षों पुराने ब्राह्मण वोट बैंक को अपने पाले में लाना चाहती है। दूसरी, निकाय चुनाव में उनकी पत्नी बंदना मिश्रा महापौर का चुनाव लड़कर लगभग 2.93 लाख वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही थीं। कांग्रेस ने 1984 में दादा नरेश चंद्र चतुर्वेदी को टिकट दिया था, जो जीते थे। उन्हें 56.92 प्रतिशत मत मिले थे।
उनके बाद से लोकसभा चुनाव में फिर कोई ब्राह्मण कांग्रेस के टिकट पर चुनकर संसद नहीं पहुंचा। कानपुर लोकसभा सीट पर लगभग साढ़े सात लाख ब्राह्मण मतदाता हैं। इसलिए पार्टी ने इस बार अपने पुराने नेता पर दांव लगाया है। आलोक कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ चुके हैं।
पार्टी अब आलोक के बहाने ब्राह्मण वोट बैंक को अपने पाले में लाकर श्रीप्रकाश जायसवाल के बाद फिर से यह सीट अपने खाते में लाने के प्रयास में है। महापौर के रूप में 22 साल पहले अनिल शर्मा चुनाव जीते थे। उनके बाद ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में आलोक को टिकट मिला है।
इस बीच पार्टी ने उत्तर जिलाध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी को दक्षिण कमेटी का भी प्रभार देकर मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण का प्रयास किया है। हालांकि, कांग्रेस के सामने गोविंद नगर व किदवई नगर में सबसे बड़ी चुनौती अजय कपूर का नहीं होना भी रहेगा।
अजय छावनी तक भी बराबर प्रभावी हैं, क्योंकि 2012 से पहले इस सीट का भी बड़ा हिस्सा उनके गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र में था। वहीं, शुरुआती दौर में अजय कपूर, पवन गुप्ता, विकास अवस्थी, करिश्मा ठाकुर, नरेश चंद्र त्रिपाठी के साथ पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र को पीछे छोड़ आलोक के टिकट पाने को इस मायने से भी देखा जा रहा है कि कांग्रेस के फ्रीज खातों के बीच उनकी राह आसान हुई है।
अजय के भाजपा में जाने के बाद ही उनका नाम सबसे आगे आ गया था। पार्टी भी पहले से ही ब्राह्मण को यहां मैदान में उतारने का मन बना।चुकी थी। आलोक काफी समय पहले से चुनाव मैदान में डटे थे। उन्होंने देव स्थलों के लिए बसों से लोगों को यात्रा करा कर माहौल बनाया
भाजपा के मतों का अंतर पाटना बड़ी चुनौती
भाजपा कानपुर लोकसभा सीट पर राम मंदिर लहर में 1990 के बाद से मजबूत हुई। पार्टी जब-जब जीती, तब-तब उसे लगभग 50 प्रतिशत मत मिले। पिछले लोकसभा चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल को तीन लाख वोट मिले थे, जो इस बीच मे सर्वाधिक रहे। बंदना मिश्रा को भी 2.93 लाख मत महापौर चुनाव में मिले पर बड़ी चुनौती ये होगी कि वो कुल मतों का 50 प्रतिशत पाए।
क्राइस्टचर्च कालेज से शुरू की थी राजनीति
आलोक मिश्रा का जन्म वर्ष 1961 में शहर के उर्सला अस्पताल में हुआ था। उनकी मां सुशीला मिश्रा कन्नौज की तथा पिता विद्याधर मिश्रा मूल रूप से फतेहपुर के रहने वाले थे। आलोक मिश्रा का विवाह वर्ष 1986 में बंदना मिश्रा से हुआ। वे एमएससी उत्तीर्ण थी।
आलोक मिश्रा के एक पुत्र देवव्रत हैं जिनकी शादी हो चुकी है उनके तीन वर्ष का बेटा भी है। देवव्रत ने अमेरिका से एमबीए किया है। बेटी उर्वशी मिश्रा ने निफ्ड से टाप किया है। वे भारत नाट्यम में भी निपुण हैं। आलोक मिश्रा ने क्राइस्ट चर्च कालेज से छात्र राजनीति शुरू की थी।
वर्ष 1983-84 में क्राइस्टचर्च कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्र के लिए दो बार पुरस्कृत हुए। वे 1985-87 में क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय में प्राध्यापक रहे। वर्ष 1992-96 में पत्रकारिता भारतीय विद्या भवन कानपुर केंद्र के निदेशक भी रहे। 1993-96 में कानपुर प्रबंध तंत्र के संयोजक रहे। वे दिल्ली पब्लिक स्कूल आजाद नगर, सर्वोदय नगर, बर्रा व किदवई नगर के संस्थापक व प्रबंधक भी हैं।
कांग्रेस से 42 साल पहले जुड़े, महत्वपूर्ण पदों पर रहे
आलोक छात्र राजनीति से सफर शुरू करने के बाद 42 साल पहले 1982 में कांग्रेस से जुड़े। 2005 से तीन साल तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहें।1998 से 2004 तक प्रदेश कमेटी में सचिव, 1997 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता, इसके साथ ही वो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी लंबे अर्से तक रहे।
वोटों का गणित
16.52 लाख मतदाता हैं कुल कानपुर लोकसभा सीट में
8.65 लाख लगभग ब्राह्मण मतदाता हैं इस सीट पर
7.87 लाख में मुस्लिम, दलित, पिछड़े मतदाताओं की है संख्या
कांग्रेसी बोले- अच्छा कदम, जताई खुशी
कानपुर लोकसभा क्षेत्र से आलोक मिश्रा के नाम की सूची कांग्रेस नेतृत्व से जारी होते ही कांग्रेसियों ने इसे अच्छा कदम बताया। कांग्रेस उत्तर-दक्षिण अध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी ने बताया कि पूर्व विधायक नेकचंद्र पांडेय, भूधर नारायण मिश्र, सोहेल अख्तर अंसारी, संजीव दरियाबादी, गणेश दीक्षित, मदन मोहन शुक्ला, नरेश चंद्र त्रिपाठी, पवन गुप्ता, विकास अवस्थी, करिश्मा ठाकुर, टिल्लू ठाकुर, जेपी पाल, सुनीत त्रिपाठी, अब्दुल मन्नान, हर प्रकाश अग्निहोत्री ने खुशी जताई है।