Gorakhpur News: शहर में लगभग 17 हजार अवैध निर्माण, ध्वस्त होंगे ये सभी – समझिए कैसे करते हैं कंपाउंडिंग का खेल

शहर में बिना नक्शा पास कराए बने 17 हजार से अधिक भवनों को ध्वस्तीकरण से राहत नहीं मिलेगी।
ऐसा इसलिए कि हाईकोर्ट ने एक आदेश में कंपाउंडिंग अर्थात समन की प्रक्रिया पर नाराजगी जताई है। हालांकि, इनके ध्वस्तीकरण का आदेश जीडीए ने पहले ही जारी रख रखा है।
शहर में बिना नक्शा पास कराए बने 17 हजार से अधिक भवनों को ध्वस्तीकरण से राहत नहीं मिलेगी। ऐसा इसलिए कि हाईकोर्ट ने एक आदेश में कंपाउंडिंग अर्थात समन की प्रक्रिया पर नाराजगी जताई है। जीडीए, शहर में नक्शा के विपरीत बने कॉमर्शियल और आवासीय भवनों को चिह्नित कर ध्वस्तीकरण का नोटिस पहले ही दे चुका है।
छह महीने में ऐसे 35 भवनों को ध्वस्त भी किया जा चुका है। अब बाकी भवन मालिकों को भी हाईकोर्ट के इस आदेश से झटका लगेगा।
दरअसल, जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने पदभार ग्रहण करने के बाद ऐसे भवनों को लेकर सख्ती शुरू कर दी थी। बिना नक्शा पास कराए भवन निर्माण कराने वालों पर प्राधिकरण के प्रवर्तन दल ने पुलिस बल के साथ पहुंचकर उन्हें सील करने की कार्रवाई भी शुरू कर दी थी।
इस दौरान अलग-अलग इकाइयों की ओर से शहर में कुल 23,595 भवनों को चिह्नित किया गया था, जिन्होंने कंपाउंडिंग नियमों को दरकिनार कर अपने भवन के निर्माण करवाए थे। इनमें से साढ़े पांच हजार भवन स्वामियों को नोटिस देकर जवाब तलब किया गया है।
चूंकि, इसमें सभी को जारी नोटिस की समयावधि अलग-अलग है, ऐसे में अभी इन्हें लेकर फैसला नहीं हो सका है। करीब 17,500 भवनों के ध्वस्तीकरण का आदेश जीडीए की तरफ से पहले ही जारी किया जा चुका है। इनके द्वारा अपने आवेदन देकर या अन्य वाद दाखिल किए गए थे, लेकिन इन्हें भी अस्वीकार कर दिया गया है।
जीडीए सूत्रों ने बताया कि शहर में लोग, बाजार के सर्किल दाम से तीन से चार गुने दाम पर जमीन खरीद लेते हैं। यहां लोग अपने व्यावसायिक उपयोग के अनुसार पूरी जगह पर निर्माण भी करवा लेते हैं। सुरक्षा मानकों के साथ जीडीए के मानकों की अनदेखी कर खुद के आर्थिक लाभ के चक्कर में लोग ऐसा निर्माण कर शासन को राजस्व की क्षति पहुंचाते हैं।
ऐसे होता है कंपाउंडिंग में खेल
जीडीए के सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो किसी आवासीय या काॅमर्शियल बिल्डिंग की कंपाउंडिंग की जाती है तो उसमें अतिरिक्त फायदा लेकर अवैध बिल्डिंग में 25 प्रतिशत हिस्से की कंपाउंडिंग कर दी जाती है। भवन मालिक से 75 फीसदी हिस्सा तोड़ने का शपथपत्र लिया जाता है, जिसमें लिखा होता है- ‘टू बी डिस्मेंटल’।
इस खेल में प्राधिकरण के कर्मचारियों की मिलीभगत भी होती है। तभी अवैध बिल्डिंग की कंपाउंडिंग संभव होती है, जबकि नियमानुसार अवैध भवन के 75 फीसदी हिस्से को तोड़ना जरूरी है। इस हिस्से के टूटने की वीडियो और फोटोग्राफी कराने का भी प्रावधान है। इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही कंपाउंडिंग होनी चाहिए।