उत्तर प्रदेशलखनऊ

Gorakhpur News: सिर्फ ठेले ही नहीं ये ‘बड़े’ भी हैं बड़ी वजह, विभाग की अनदेखी- कैसे पड़ती है भारी, जानिए कैसे

शहर में खाने-पीने के शौकीन बहुत हैं। बड़े-बड़े होटल और रेस्टोरेंट से लेकर सड़क के किनारे ठेला-खोमचा तक पर लोगों की भीड़ रहती है, लेकिन दुकानदारों को लोगों की सेहत से कुछ लेना-देना नहीं है।

गोरखपुर में खाने-पीने में साफ-सफाई की स्थिति केवल ठेलों पर ही नहीं, बड़े होटलों के किचन में भी बदतर है। वहां की खाद्य सामग्री भी इस मामले में बहुत बेहतर नहीं हैं। शहर के एक नामी होटल के किचन में दो साल में दो बार छापा पड़ा और दोनों ही बार गंदगी मिली। पिछली बार जब खाद्य औषधि विभाग ने छापा मारा तो वहां कॉकरोच घूम रहे थे।

 

 

उसके अलावा पांच और बड़े रेस्टोरेंट ऐसे हैं, जिनके यहां के खाने का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है, लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं आई है। इसमें एक रेस्टोरेंट बिरयानी के शौकीनों का बड़ा अड्डा है।

 

 

शहर में खाने-पीने के शौकीन बहुत हैं। बड़े-बड़े होटल और रेस्टोरेंट से लेकर सड़क के किनारे ठेला-खोमचा तक पर लोगों की भीड़ रहती है, लेकिन दुकानदारों को लोगों की सेहत से कुछ लेना-देना नहीं है। सबसे खराब स्थिति हर जगह स्वच्छता को लेकर है।

 

बड़े होटल व रेस्टोरेंट के किचन हों या सड़क पर ठेला लगाकर चाट-बरियानी बेचने वाले, सबकी हालत एक जैसी नजर आती है।

खाद्य औषधि विभाग के अफसर इस मामले में सीधे तौर पर कुछ कहने से तो बचते हैं, लेकिन बात को घुमाकर इतना जरूर कह रहे हैं कि हम सभी जगह स्वच्छता को लेकर जागरूक करते हैं। बात-बात में वही बताते हैं कि कुछ दिन पहले शहर के एक बड़े होटल के किचन की जांच करने गए तो वहां खाने के बर्तनों के ऊपर कॉकरोच घूम रहे थे। सब्जी से लेकर अन्य सामान इधर-उधर बिखरे पड़े थे।

 

बता दें कि इसी होटल में दो साल पहले भी छापा मारा गया था और तब भी उनके किचन में तमाम खामियां मिली थीं। अब यह अलग बात है कि बड़े होटलों पर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ती। अभी इस मामले में ही जांच चल रही है। सैंपल की रिपोर्ट भी आनी बाकी है।

 

इसी तरह गोलघर का एक बड़ा चर्चित रेस्टोरेंट है, जिसके यहां परिवार समेत भोजन करना लोग शान की बात समझते हैं।इस रेस्टोरेंट समेत पांच और जगह से सैंपल जांच के लिए गए हैं। हालांकि, इनमें से किसी की अब तक रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट कब तक आएगी यह तो पता नहीं, लेकिन कार्रवाई का हश्र देखकर सहज ही समझा जा सकता है कि ऐसे मामले किस तरह से निपटाए जा रहे हैं।

आंकड़े ही बता रहे खान-पान की हकीकत

खाद्य औषधि विभाग की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2023-24 के दौरान कुल 343 जगह छापे मारे गए। इस दौरान कुल 539 नमूने लिए गए। इसमें से 331 की जांच रिपोर्ट आई। इस रिपोर्ट में 176 नमूने मिलावटी पाए गए।

अब इन आंकड़ों को अगर समझें तो औसतन हर दिन एक से भी कम कार्रवाई हुई और दो से भी कम नमूने लिए गए। यह तब है जब विभाग होली, दिवाली, दशहरा समेत सभी बड़े त्योहारों पर बड़े लेवल पर अभियान चलाता है। फिर भी कार्रवाई की जो संख्या है, उसका औसत काफी कम है। लेकिन इसमें भी महत्वपूर्ण यह है कि इतनी कम कार्रवाई में भी 176 नमूने फेल हो गए।

 

इसमें से भी सात नमूने ऐसे हैं, जो जीवन के लिए हानिकारक की श्रेणी में रखे गए हैं। जो नमूने हानिकारक श्रेणी में चिह्नित हुए हैं, उनमें से दाल, मसाला, बर्फी, काजू व किशमिश है। इसके अलावा 12 मामले ऐसे हैं, जिनमें पैकेट पर उपलब्ध जानकारी गलत है। मतलब पैकेट बंद सामान जिसे आप सबसे शुद्ध मान रहे हैं, वह भी खराब और मिलावटी बिक रहा है।

 

खाद्य निरीक्षक हितेंद्र मोहन त्रिपाठी ने बताया कि हम लोग लगातार सफाई और शुद्धता के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। अब तक 280 व्यापारियों को स्वच्छता के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। त्योहारों में मिठाई और खाद्य सामग्री की खपत अधिक होती है, इसलिए उन दिनों छापे अधिक मारे जाते हैं।

 

स्कूलों में जाकर बच्चों को जागरूक करने के साथ ही वहां एमडीएम का भी सैंपल लिया जाता है। एक बड़े रेस्टोरेंट के मामले में अभी जांच की कार्रवाई चल रही है, वहीं पांच-छह रेस्टोरेंट का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है, जिनकी रिपोर्ट आनी बाकी है।

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