Padma Award: काशी के लकड़ी खिलौना मास्टर व मिर्जापुर की गायिका को पद्मश्री, पं. सुरेंद्र को मरणोपरांत सम्मान

Alisba
Padma Awards 2024 Full List : गोदावरी सिंह ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि जर्मनी, अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों में आज भी लकड़ी के खिलौने की बहुत मांग है। उधर, मिर्जापुर की लोक गायिका उर्मिला श्रीवास्तव पद्मश्री मिलने के बाद काफी खुश हैं। वहीं संगीतज्ञ पंडित सुरेंद्र मोहन मिश्र को मरणोपरांत पद्मश्री अवार्ड मिलने से परिवार वाले खुश हैं।
पद्म पुरस्कार पाने वालों की सूची में एक बार फिर काशी की कला और संगीत को जगह मिली है। मरणोपरांत संगीतज्ञ पंडित सुरेंद्र मोहन मिश्र को संगीत की साधना के लिए तो हस्त शिल्पी गोदावरी सिंह को खिलौना उद्योग को नई पहचान दिलाने के लिए भी पद्मश्री दिया गया है।
गृह मंत्रालय की ओर से दिए जाने वाले पद्म पुरस्कार के लिए इस बार काशी से 32 लोगों ने आवेदन किया था, इनमें से किसी को नहीं मिला। काशी से संगीतज्ञ पंडित सुरेंद्र मोहन मिश्र को मरणोपरांत पद्मश्री अवार्ड मिलने की जानकारी पर उनके परिवारीजनों के साथ ही उनके शिष्य गुरु को याद कर भावुक हो गए। उधर, शिल्पी गोदावरी सिंह का नाम शामिल होने की जानकारी मिलने पर लोगों ने उन्हें फोनकर बधाई दी।
विदेश तक है गोदावरी की शिल्प कला की चमक
खोजवा कश्मीरीगंज निवासी गोदावरी सिंह ने पांचवीं तक की पढ़ाई की है। उन्होंने अपनी कला के हुनर से देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इनको बधाई दे चुके हैं। गोदावरी सिंह ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि सबसे पहले 1970 में लकड़ी के खिलौने का निर्यात किया था। कुछ विषम परिस्थितियों की वजह से केवल कक्षा पांच तक पढ़ाई की, लेकिन कला के क्षेत्र में जो जुनून था, उसमें समय बढ़ने के साथ ही तकनीक और विकास का सहारा लेते हुए शिल्प कला को पहचान दिलाने में साधना रत हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी, अमेरिका, यूरोप अब सहित कई देशों में आज भी लकड़ी के खिलौने की बहुत मांग है। लोगों की मांग के हिसाब से खिलौनों को तैयार कर बाहर भेजा जाता है।
शास्त्रीय, उपशास्त्रीय और सुगम संगीत के मर्मज्ञ थे पंडित सुरेंद्र
रामापुरा निवासी बनारस घराने के मुर्धन्य संगीतज्ञों में शुमार पं. सुरेंद्र मोहन मित्र की पहचान मंच से परहेज करने वाले गुरु के रूप में ज्यादा थी। पिछले साल नवंबर में उनका निधन होने के बाद से उनके शिष्य अपने गुरु के संकल्प को पूरा करने में लगे हैं। बीएचयू संगीत एवं मंच कला संकाय, अन्य विश्वविद्यालयों, संगोत महाविद्यालयों और विदेशों में भी उनके शिष्य हैं। पं. सुरेंद्र मोहन तीन विधाओं के मर्मज्ञ थे। शास्त्रीय, उपशास्त्रीय के साथ सुगम संगीत में जो उनको पकड़ थी। उनको पद्मश्री मिलने पर बीएचयू की प्रो. संगीता पंडित, शारदा वेलंकर व रेवतो साकलकर आदि ने श्रद्धांजलि दी।