मुजफ्फरनगर के चुनावी दंगल में दो दिग्गज जाट नेता आमने-सामने, लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटे बसपा प्रत्याशी

Lok Sabha Election 2024 देश और प्रदेशवासियों के जायके में गुड़ और चीनी की मिठास घोलने वाले मुजफ्फरनगर की फिजां में चढ़ती गर्मी के इस मौसम में सियासी तपिश घुलती जा रही है। सियासत के चौधरियों के बीच दिलचस्प होती जा रही यह चुनावी जंग भाजपा रालोद गठबंधन का भी कड़ा इम्तिहान लेगी। विशेष संवाददाता राजीव दीक्षित की रिपोर्ट…
मुजफ्फरनगर। चीनी का कटोरा कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर में इन दिनों राजनीतिक तीखेपन का अहसास गहराता जा रहा है। अठारहवीं लोकसभा के चुनावी दंगल में यहां दो दिग्गज जाट नेता आमने-सामने ताल ठोंक रहे हैं। इनमें एक केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान हैं जो बतौर भाजपा प्रत्याशी मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर लगातार तीसरी बार अपना दबदबा साबित करने की कोशिश में लगे हैं।
सपा उम्मीदवार के रूप में उन्हें चुनौती दे रहे हैं अनुभवी नेता हरेंद्र मलिक जो 1985 में खतौली तथा 1989, 1991 और 1996 में बघरा से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। मलिक 2002 से 2008 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। उनके पुत्र पंकज कुमार मलिक चरथावल से सपा विधायक हैं। पहली बार चुनाव मैदान में उतरे बसपा के दारा सिंह प्रजापति इस चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं।
संजीव बालियान ने अजित सिंह को दी थी शिकस्त
संजीव बालियान ने पिछले लोकसभा चुनाव में रालोद के मुखिया चौधरी अजित सिंह को तकरीबन साढ़े छह हजार मतों से शिकस्त दी थी। पिछले चुनाव में सपा, बसपा और रालोद का गठबंधन था जबकि इस बार सपा और कांग्रेस ने हाथ मिलाया है तो रालोद भाजपा के साथ है। मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में 18.1 लाख मतदाता हैं, जिनमें मुस्लिमों की संख्या पांच लाख से अधिक है, शेष अन्य जातियों के वोटर हैं।
सपा और बसपा के अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरने और रालोद के साथ आने को भाजपा अपने लिए मुफीद मान रही है। वहीं, दूसरी ओर ठाकुर बिरादरी के विरोध और किसान आंदोलन के कारण टिकैत परिवार का विपक्ष के साथ खड़े होना भाजपा प्रत्याशी की दुश्वारियां बढ़ा रहा है। भाजपा को जाट, ओबीसी, ठाकुर व त्यागी समाज और गैर जाटव दलित मतों का आसरा है। लिहाजा, मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा और रालोद गठबंधन की भी कड़ी परीक्षा होगी। निगाहें इस पर भी टिकी हैं कि रालोद के साथ आने से जाट बिरादरी कितनी दरियादिली से भाजपा का चुनाव में समर्थन करती है।
सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक सजातीय जाट बिरादरी के अलावा मुसलमान और त्यागी समाज से समर्थन मिलने की उम्मीद लगाए हैं। हरेंद्र मलिक जाट गांवों में अपनी सभाओं में लोगों को यह बताने से नहीं चूक रहे कि पिछले लोकसभा चुनाव में रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह को हराने वाले संजीव बालियान से बिरादरी को इस अपमान का बदला लेना है। वहीं दूसरी ओर रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भी हरेंद्र मलिक को घेर रहे हैं। बसपा प्रत्याशी को सजातीय प्रजापति बिरादरी के अलावा दलित मतदाताओं पर भरोसा है। मुजफ्फरनगर की फिजां सियासी चर्चाओं से तारी है।
मुजफ्फरनगर शहर के मीनाक्षीपुरम इलाके में बिल्डिंग मैटीरियल की दुकान पर संयोगवश भाजपा प्रत्याशी संजीव बालियान के दो नामराशि भी मौजूद हैं। इनमें से एक मांडी गांव तो दूसरे सांसद बालियान के कुटबी गांव के ही निवासी हैं। मांडी गांव के संजीव बालियान कहते हैं कि भाजपा से ठाकुर मुंह मोड़ रहे हैं। त्यागी समाज का एक उम्मीदवार के मैदान में होने से इस बिरादरी का वोट भी कटेगा।
बसपा प्रत्याशी प्रजापति समाज के वोट काटेगा। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की राह मुश्किल होगी। उनकी बात पूरी होते ही कुटबी गांव के संजीव बालियान बोले, पिछले चुनाव में तो चौधरी अजित सिंह जैसे धुरंधर के मैदान में रहते भी संजीव बालियान चुनाव जीत गए थे। चौधरी अजित सिंह के मुकाबले हरेंद्र मलिक कहां टिकते हैं? भाजपा विकास और अपने काम पर वोट मांग रही है।
ठाकुरों की नाराजगी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूर कर देंगे। इतने में मांडी गांव के मोनू बालियान बोले- ‘जाट तो कहता है जहां म्हारा चौधरी, वहां मेरा वोट।’ मुजफ्फरनगर से खतौली जाने वाले रास्ते पर भैंसी गांव में जाटव बिरादरी के अरुण बोले, लड़ाई त्रिकोणीय है, लेकिन बालियान भारी हैं। अहलावत जाट बिरादरी के बुजुर्ग किसान दिनेश को यह रास नहीं आया और उन्होंने फौरन तंज किया कि मुफ्त राशन ले रहे हैं, इसलिए बालियान की तारीफ कर रहे हैं। अरुण ने भी पलटवार किया- ‘मुफ्त राशन तो जाट भी ले रहे हैं।’
कैलाश कुमार बोले-‘महंगाई पर डबल इंजन का काबू नहीं है, युवा वर्ग को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।’ राहुल चौधरी ने फौरन उनकी बात काटी और बोले-‘आपके परिवार का लड़का सीआरपीएफ में भर्ती हुआ है, उसने पढ़ाई की तो चयन हो गया। सरकार को क्यों बदनाम कर रहे हो?’ मतलब सरकार का काम चुनाव में जेरेबहस है।’
गुड़ विक्रेताओं का दर्द
मुजफ्फरनगर में देश की सबसे बड़ी गुड मंडी है, लेकिन यहां के कारोबारी नाराज हैं। द गुड़ खांडसारी एंड ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय मित्तल कहते हैं कि गुड़ के कारोबार पर ग्रहण लग गया है। इसमें माफिया का दखल हो गया है। माफिया काश्तकार के नाम पर गांव में कोल्हू से गुड़ उठाते हैं और दूसरे राज्यों में व्यापारियों को सीधे बेच देते हैं। पहले यहां 20,000 क्विंटल गुड़ रोज आता था जो अब घटकर मात्र 3000 क्विंटल रह गया है। गुड़ व्यापारी काम छोड़कर जा रहे हैं।
सिसौली में अलग मंजर
किसान आंदोलन के केंद्र बिंदु चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के गांव सिसौली में अलग मंजर है। सिसौली में टिकैत परिवार के घेर में कई बुजुर्ग चौसर खेल रहे हैं। चुनाव के बारे में पूछने पर सोहनवीर सिंह बोले, जोरदार टक्कर है। अनिल कुमार ने बुजुर्गों के मंतव्य को थोड़ा और स्पष्ट किया। यह कहते हुए कि 400 पार कह रहे हैं, लेकिन 200 पार करना मुश्किल होगा। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के पुत्र चरण सिंह कहते हैं ‘युवा जाट बदलाव चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि गन्ने का मूल्य 400 पार करेंगे, लेकिन अब भाजपा का ध्यान 400 सीटें पार करने पर टिक गया है।’