जाणताराजा महानाट्य भारत के गौरवशाली अतीत का मंचन है: डॉ सन्तोष
जाणताराजा" शिवाजी महाराज के पूरे जीवन पर एक विहंगम दृष्टि डालता है।

रजनीश कुमार प्रजापति ब्यूरो चीफ
गाजीपुर (जस्ट एक्शन)आगामी 21नवंबर से 26नवंबर तक सर्व विद्या की राजधानी काशी में सायं 5.30बजे से 8.30बजे तक “जाणताराजा” महानाट्य का मंचन किया जा रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने सनातनी संस्कृति को मुगलों के आक्रमण से बचाए रखने के लिए जिस साहस,शौर्य ,और पराक्रम का परिचय दिया वह अद्वितीय है। लेकिन उनकी कहानी पाठयपुस्तकों में बस कुछ ही पन्नों में समेट कर रख दी गई। पद्म विभूषण बाबा बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे द्वारा लिखित “जाणताराजा” शिवाजी महाराज के पूरे जीवन पर एक विहंगम दृष्टि डालता है। देश की महान विभूतियों के बारे में नई पीढ़ी को बताने के लिए नाटक सबसे सशक्त माध्यम जान पड़ता है।जो बात पुस्तकों के द्वारा नहीं समझाई जा सकती वह एक नाटक कुछ ही घंटों में पूरा कर देता है। जब मंचन द्वारा सजीव प्रस्तुति की जाती है उसका असर दर्शकों के मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ जाता है। महानाट्य का मंचन काशी में कराने का भी यही उद्देश्य है। इस महानाट्य को देखने के लिए अधिक से अधिक लोग काशी पहुंचें ताकि यह महानाट्य अपने उद्देश्य में सफल हो सके। उक्त बातें जाणताराजा संचालन समिति सैदपुर के सचिव डॉ. संतोष सिंह यादव ने जन संपर्क के दौरान साझा किया। जिला सह संघचालक श्रीमान पारस नाथ राय ने कहा कि जाणताराजा भारत के गौरवशाली अतीत का मंचन है। इसके माध्यम से सर्व विद्या की राजधानी काशी में गूंजेगी हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी राजे की महागाथा।