उत्तर प्रदेशलखनऊ

Karnal News: अब चीनी का उत्पादन बढ़ाने वाली गन्ने की किस्में होंगी तैयार

अभी तक गन्ने की पैदावार बढ़ाने पर रहता था फोकस, कुछ नई किस्मों पर चल रहा शोध

देश के कुल गन्ना क्षेत्रफल के 75.8 प्रतिशत क्षेत्र में गन्ना प्रजनन संस्थान की किस्मों की होती है बिजाई

करनाल। देश में अब गन्ने की ऐसी किस्मों को ईजाद किया जाएगा जो चीनी का उत्पादन बढ़ाएंगी। अभी तक मुख्य फोकस गन्ने की पैदावार कैसे बढ़े, इस पर रहता था, लेकिन अब विशेषज्ञ इसके साथ-साथ चीनी के अत्यधिक उत्पादन वाली गन्ने की किस्मों पर भी शोध कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि किसी किस्म से गन्ने की पैदावार तो बढ़ रही है मगर उस किस्म से चीनी का अपेक्षाकृत उत्पादन कम होता है तो इसे फायदे का सौदा नहीं कहा जा सकता। लिहाजा वैज्ञानिकों को अब गन्ने से अधिक चीनी के उत्पादन वाली नई किस्मों पर काम करने की जरूरत महसूस हो रही है।

आईसीएआर के करनाल स्थित गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में आयोजित गन्ना कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने उक्त बात पर ही जोर दिया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी किस्मों पर मंथन किया, जो पैदावार की बजाय चीनी का उत्पादन बढ़ाने में सहायक हैं। गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर की निदेशक डॉ. जी. हेमाप्रभा ने बताया कि इस तरह की किस्मों पर देशभर के विभिन्न शोध संस्थानों पर काम चल रहा है। उनके अनुसार इस तरह की कुछेक किस्में तैयार हो चुकी हैं और ये किसानों तक भी पहुंच चुकी हैं। अब किसानों को इन किस्मों की ज्यादा से ज्यादा बिजाई के लिए प्रेरित करना है।

इस संदर्भ में सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान लखनऊ के सहयोग से एक प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन किया गया। इस दौरान डॉ. हेमाप्रभा ने बताया कि किसानों को ध्यान रखना होगा कि किसी एक किस्म का रकबा 60 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, अन्यथा बीमारी आने की स्थिति में चीनी मिलों व किसानों को भारी नुकसान हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि देश के कुल गन्ना क्षेत्रफल के 75.8 प्रतिशत क्षेत्र में गन्ना प्रजनन संस्थान द्वारा विकसित गन्ना प्रजातियों व 22 प्रतिशत क्षेत्र में राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों और गन्ना अनुसंधान से जुड़े अन्य संस्थानों द्वारा गन्ना प्रजनन संस्थान के सहयोग से विकसित प्रजातियों की खेती होती है। अतः देश में गन्ना खेती क्षेत्र के 97.8 प्रतिशत भूभाग में गन्ने की खेती में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संस्थान द्वारा विकसित प्रजातियों का ही योगदान है।

गन्ने की अगेती किस्में विकसित करने की तैयारी

छह दिवसीय शिविर के दौरान उत्तर प्रदेश के 22 प्रगतिशील गन्ना उत्पादक व विभिन्न संस्थानों के अधिकारियों को करनाल के क्षेत्रीय गन्ना अनुसंधान केंद्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस मौके पर केंद्र के अध्यक्ष एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के सह संरक्षक डाॅ. एम.एल. छाबड़ा द्वारा प्रशिक्षण शिविर के बारे में अवगत कराया गया। इसके उपरांत कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. एम.आर. मीना व डॉ. पूजा और सह पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. रविंद्र कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत गन्ने का बीज उपचार, शुद्ध बीज उत्पादन, गन्ना प्रबंधन, गन्ना के रोग व कीट प्रबंधन, गन्ना किस्मों व टिशु कल्चर तकनीक द्वारा उत्पादित गन्ने की पौध का अधिक से अधिक उत्पादन कर गन्ने की पैदावार बढ़ाने आदि विषयों पर जानकारी दी जा रही है। इस दौरान वैज्ञानिकों को गन्ने की अगेती किस्मों के विकास पर काम करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ. जी. हेमाप्रभा ने उन्नत गन्ना उत्पादन तकनीकियां-गन्ना कृषक प्रशिक्षण पुस्तिका का विमोचन भी किया।

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