सीएए के बाद एनआरसी भी चाहिए, देश में भारतीय नागरिकों की कुल संख्या जानना जरूरी

जो गैर-मुस्लिम 1947 में रेडक्लिफ रेखा के उस पार पाकिस्तान में छूट गए थे उनका अपराध क्या था? सत्ता अधिग्रहण की जल्दबाजी में भारतीय नेताओं ने जिन्ना की मजहबी सत्ता से उनका सौदा कर लिया। उन्हें राहत पहुंचाने के आवश्यक दायित्व की पूर्ति 75 वर्ष बाद अब नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के माध्यम से की जा रही है। सीएए के बाद राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी की जरूरत है।
गैर-मुस्लिम 1947 में रेडक्लिफ रेखा के उस पार पाकिस्तान में छूट गए थे, उनका अपराध क्या था? सत्ता अधिग्रहण की जल्दबाजी में भारतीय नेताओं ने जिन्ना की मजहबी सत्ता से उनका सौदा कर लिया। उन्हें राहत पहुंचाने के आवश्यक दायित्व की पूर्ति 75 वर्ष बाद अब नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के माध्यम से की जा रही है। सीएए के बाद राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी की जरूरत है। इस बीच सीएए को लेकर कुछ अनावश्यक टिप्पणियां की जा रही हैं, जिनका प्रतिकार भी किया जा रहा है। इसी कड़ी में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राजदूत को यह कहकर उचित जवाब दिया, ‘आप भारत विभाजन का इतिहास नहीं जानते, लिहाजा सीएए को नहीं समझ सकते। उनके प्रति हमारा ऐतिहासिक दायित्व है, जिनके साथ विभाजन ने अन्याय किया।’ 2014 से पहले हमारे स्वयंभू सेक्युलर नेताओं का यह मानना था कि पाकिस्तान को भारत में सांप्रदायिक आतंकवाद का दोषी करार देने का परिणाम वोट बैंक की राजनीति की दृष्टि से बुरा होगा।