Lakhimpur Kheri News: दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर आठ ने लिया प्रवेश, निरस्त

मितौली। जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा छह के लिए चल रही प्रवेश प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। आठ छात्र-छात्राएं पकड़े गए हैं। सभी के प्रवेश निरस्त कर दिए गए हैं। इसकी सूची डीएम, उपायुक्त जवाहर नवोदय विद्यालय समिति लखनऊ को भेजी गई है।
जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा छह में प्रवेश के लिए 20 जनवरी को जिले के 16 परीक्षा केंद्रों पर 4289 बच्चों ने परीक्षा दी थी। एक अप्रैल को घोषित चयन परीक्षा के नतीजों में 80 बच्चों का चयन हुआ था। प्रवेश प्रक्रिया के लिए हुई जांच के दौरान आठ छात्र-छात्राओं के दूसरी बार परीक्षा देकर चयनित होने की बात सामने आई।
प्रिंसिपल संजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि जांच के दौरान कुल सात छात्र व एक छात्रा दूसरी बार परीक्षा देकर चयनित पाए गए। इनके कागजातों के साथ छेड़छाड़ की गई थी। सभी का प्रवेश निरस्त कर सूची डीएम व उपायुक्त जवाहर नवोदय विद्यालय समिति लखनऊ को भी भेज दी गई है।
अब तक 38 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश की प्रक्रिया पूरी कर ली है। जो शेष बचे हैं, उनसे जल्द ही कागजात जमा करने के लिए कहा गया है। उनकी भी जांच अन्य स्तरों से कराई जा रही है। प्रवेश प्रक्रिया अभी चल रही है। जिन छात्र-छात्राओं की चयन प्रक्रिया निरस्त की गई है उसके लिए जल्द ही दूसरी सूची की मांग की जाएगी।
बेहजम ब्लॉक के सबसे ज्यादा बच्चे पकड़े गए
प्रवेश प्रक्रिया के दौरान इस बार कुल आठ बच्चे पकड़े हैं। इस बार ज्यादा बेहजम ब्लॉक के 11 बच्चों का चयन हुआ था। जांच में सबसे ज्यादा बेहजम के तीन, मितौली के दो, पलिया, पसगवां व ईसानगर का एक-एक बच्चा फर्जीवाड़े में पकड़ा गया है।
किसी बच्चे का नाम तो किसी का बदला मिला स्कूल
प्रधानाचार्य ने बताया कि परीक्षा दिलाने के किए अभिभावकों ने खूब फर्जीवाड़ा किया। किसी ने बच्चे का नाम बदला तो किसी ने जन्मतिथि, इसके अलावा बच्चों ने स्कूल तक बदल दिया है। सत्यापन के दौरान बच्चे का फ़ोटो, मोबाइल नंबर एक मिला है। विद्यालय प्रशासन ने दोनों बार के एडमिट कार्ड निकलवा लिए हैं।
एक प्रवेश परीक्षा देने का है नियम
प्रधानाचार्य संजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में सिर्फ कक्षा पांच में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं शामिल हो सकते हैं, वह भी सिर्फ एक बार। छात्र का सरकारी व मान्यता प्राप्त स्कूल में पढ़ाई करना भी अनिवार्य है। दोबारा परीक्षा देने का कोई नियम नहीं है।