उत्तर प्रदेशलखनऊ

माघ मेला : माघी पूर्णिमा स्नान के साथ एक माह का संकल्प पूरा, लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

माघ मेलेे के पांचवें स्नान पर्व माघी पूर्णिमा के लिए रात से ही डुबकी लगनी शुरू हो गई थी। आठ घाटों पर डुबकी लगाने के इंतजाम किए गए हैं। पूर्णिमा लगने की वजह से आधी रात सेे ही डुबकी लगने लगी।

माघी पूर्णिमा पर शनिवार को लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। दोपहर दो बजे तक 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। स्नान के बाद घाट पर मौजूद दीनहीनों को पैसे और अनाज, फल आदि का दिन दिया गया। बड़े हनुमानजी मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मत्था भी टेका।

मेलेे के पांचवें स्नान पर्व माघी पूर्णिमा के लिए रात से ही डुबकी लगनी शुरू हो गई थी। आठ घाटों पर डुबकी लगाने के इंतजाम किए गए हैं। पूर्णिमा लगने की वजह से आधी रात सेे ही डुबकी लगने लगी। शनिवार को गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर देश के कोने-कोने से आए संत-श्रद्धालु और कल्पवासी पुण्य की डुबकी लगाई। इसी के साथ कल्पवासी शिविरों मास पर्यंत अनुष्ठानों की पूर्णाहुति हो जाएगी। इसी के साथ संगम की रेती से रिश्तों की डोर सहेजते हुए कल्पवासी विदा हो जाएंगे।

पुण्यदायिनी माघी पूर्णिमा शुक्रवार की शाम 3:36 बजे ही लग गई। जबकि, शनिवार की शाम 6:03 बजे तक पूर्णिमा रहेगी। ऐसे में उदया तिथि में शनिवार को ही माघी पूर्णिमा स्नान की मान्यता रही। इस बार माघी पूर्णिमा का योग मघा नक्षत्र में आरंभ हो रहा है। मघा नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा में बुधादित्य योग, लक्ष्मी योग, शश योग और मंगल के मकर राशि में होने से रूचक योग में पुण्य की डुबकी हर कामनाओं को पूर्ण करने वाली बताई गई। पुराणों के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु खुद गंगा स्नान करते हैं।

कल्पवासी शिविरों में मास पर्यंत यज्ञ-अनुष्ठानों की हुई पूर्णाहुति

माघी पूर्णिमा पर खीर का दान करने से हर तरह की कामनाओं की पूर्ति के योग बनेंगे। पूर्णिमा पर माघ मेले में मास पर्यंत कल्पवास करने वाले संतों-भक्तों के शिविरों में सत्यनारायण भगवान की कथाएं सुनी। इस दौरान भगवान विष्णु की सविधि पूजा की गई। मेला प्रशासन की ओर से भी कथा का आयोजन किया गया है।

ज्योतिषियों के अनुसार माघी पूर्णिमा के पर विष्णु भगवान को चावल की खीर का भोग लगाना चाहिए। इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए। विशेष तौर पर जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा अस्त है या कमजोर अवस्था में है, उन्हें सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए। माघी पूर्णिमा पर अन्न, वस्त्र के दान से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।

ऐसे में मान्यता है कि गंगा जल के स्पर्श से मनसा, वाचा और कर्मणा हर तरह के पापों का शमन हो जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. ब्रजेंद्र मिश्र के मुताबिक माघी पूर्णिमा पर चार राजयोगों का मिलन शुभ फलदायी होगा। इस बार जो भी श्रद्धालु माघी पूर्णिमा का व्रत पहली बार प्रारंभ करना चाहते हैं, वह शुक्रवार को आरंभ कर सकते हैं। इस दिन संगम स्नान से विशेष फल प्राप्ति होगी। इस पर्व पर डुबकी लगाकर जीवन में आई नकारात्मकता से भी मुक्ति पाई जा सकती है। माघी पूर्णिमा पर तिल और घी का दान विशेष फलदायी होगा।

 

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