शहर में एक लाख के करीब बांग्लादेशी और रोहिंग्या, कॉलोनियां ही नहीं नगर निगम में भी बांग्लादेशियों की घुसपैठ
असमिया बताकर राजधानी में कर ली इंट्री

लखनऊ। शहर की कालोनियों ही नहीं नगर निगम तक में बांग्लादेशियों की घुसपैठ हो गई है। असमिया की आड़ में रोहिंगिया और बांग्लादेशी नगर निगम में ड्राइवर से लेकर सफाईकर्मी का काम कर रहे हैं। दिलचस्प यह है कि इनके पास आधार कार्ड, बिजली और पानी के कनेक्शन तक हैं। अब इनकी संख्या बढ़कर एक लाख से अधिक पहुंच चुकी है। इन अवैध बासिंदों से कालोनियों से लेकर शहर की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लग रही है।
शहर के सभी इलाकों में खाली भूखंडों पर इन घुसपैठियों की बस्तियां हैं। गोमती नगर, इन्दिरा नगर, अलीगंज, हजरतगंज, यहां तक ऐशबाग, रामनगर, धोबी घाट तक पर इनकी उपस्थिति है। कार्रवाई होने पर ये आक्रामक हो जाते हैं। ऐशबाग के रामनगर में सड़क, नाले और फुटपाथ तक अतिक्रमण कर पक्के निर्माण बना लिए हैं।
राजनीतिक दलों के यह अचानक आए वोट बैंक, बन रहे सुरक्षा का खतरा
ये बाहरी लोग कहां के हैं और इनकी पहचान क्या है, इस पर पुलिस तक सवाल नहीं कर रही है। शहर में ठिकाना बना चुके ये लोग राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक बन गए हैं। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के प्रभाव से इनका वोटर कार्ड, राशन कार्ड, बिजली कनेक्शन और आधार कार्ड तक बन चुका है। यही नहीं नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों का भी इन्हें संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि जब भी इन पर कार्रवाई की बात आती है तो जनप्रतिनिधि इनके समर्थन में खड़े हो जाते हैं।
इन्दिरा नगर में नगर निगम के कर्मचारियों से हुई थी मारपीट
खुद को असमिया बताने वाले बांग्लादेशी रोहिंगिया शहर में घरों से प्राइवेट कूड़ा उठाने का भी काम करते हैं। इसकी एवज में प्रतिमाह घरों से 1500 रुपये लेते हैं। एलएसए कंपनी की शिकायत पर महापौर सुषमा खर्कवाल ने अवैध तरीके से घरों से कूड़ा उठा रहे लोगों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। नगर निगम की टीम ने इन्दिरा नगर क्षेत्र में जब इनकी ठेलियां जब्त कीं तो इन लोगों के हौसले इतने बुलंद थे कि कर्मचारियों को ही पीट दिया। मौके पर पहुंचीं महापौर ने इनकी अवैध झुग्गियों को ध्वस्त करवा दिया था। साथ ही नगर निगम और पुलिस के अधिकारियों को झुग्गियों को अभियान चलाकर ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। लेकिन आज तक अवैध झुग्गियों पर कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी।
बांग्लादेशी, असमिया समेत बाहरी लोग राजधानी में नहीं रह पाएंगे। इन्हें चिह्नित कर लिया गया है। इन बाहरियों को शहर से बाहर किया जाएगा। इंदिरानगर और ऐशबाग क्षेत्र में अतिक्रमण अभियान चला उन्हें हटाया गया है। उन्हें बसने नहीं दिया जाएगा।
– ललित कुमार, अपर नगर आयुक्त, लखनऊ नगर निगम