Ram Mandir: अलीगढ़ की बेटी-दामाद की मंदिर निर्माण में रही महत्वपूर्ण भूमिका, पति-पत्नी ने किया यह काम

Alisba
अलीगढ़ की हिना गुप्ता और उनके पति देवदत्ता बेहद गौरवान्वित है। बेटी दामाद इन दिनों रुडक़ी स्थित सीएसआईआर की लैब केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) में बतौर वरिष्ठ वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं। इन्होंने श्री राम मंदिर के ढांचे की डिजाइन तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरा देश राममय है। अयोध्या में राममंदिर निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के इस मौके के साक्षी बनने पर लोग गौरवान्वित व सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। वहीं जिनकी भूमिका मंदिर निर्माण में है, वे खुद को परम सौभाग्यशाली मान रहे हैं। जिन्हें ये अवसर मिला है, वे विरले लोग हैं। इन्हीं में से एक हैं अलीगढ़ की इंजीनियर बेटी हिना गुप्ता। जो अपने इंजीनियर पति देवदत्ता के साथ मंदिर निर्माण में अहम भूमिका निभा रही है।
एएमयू से इंजीनियरिंग करने वाली हिना का कानूनगो परिवार इस उपलब्धि पर बेहद गौरवान्वित है। बेटी दामाद इन दिनों रुडक़ी स्थित सीएसआईआर की लैब केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) में बतौर वरिष्ठ वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं। इन्होंने श्री राम मंदिर के ढांचे की डिजाइन तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है।
सीबीआरआई रुड़की भारत सरकार का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है, जो भवन तकनीक के क्षेत्र में कार्यरत है। इसी संस्थान ने अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर का डिजाइन तैयार किया है। इसके इंजीनियरों की टीम में रामघाट रोड अवंतिका फेस-दो आर्यनगर निवासी हिना गुप्ता व उनके पति देवदत्ता शामिल हैं। दोनों ही इस संस्थान में तैनात हैं। हिना के पिता दिलीप कुमार गुप्ता आर्यावर्त बैंक से मुख्य प्रबंधक से सेवानिवृत हैं। मां सुमन गुप्ता गृहिणी और उनके भाई हनीश गुप्ता व्यापार करते हैं। हिना व उनके पति को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का मौका व निमंत्रण मिला है।
हिना गुप्ता शुरू से ही प्रतिभाशाली और मेधावी छात्रा रही हैं। हिना गुप्ता की प्रारंभिक शिक्षा सेंट फिदेलिस स्कूल में हुई। उसके बाद उन्होंने अब्दुल्ला कॉलेज से पढ़ाई की। बाद में उनका चयन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हो गया। एमटेक किया और गोल्ड मेडलिस्ट भी रही हैं। इसके बाद आईआईटी रुड़की से भी अध्ययन किया है। हिना गुप्ता सीबीआरआई यानि सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च संस्थान रुड़की में 2015 से कार्यरत हैं। पांच वर्ष पहले कोलकाता निवासी देवदत्ता से उनकी शादी हुई। उनके पति भी इसी विभाग में कार्यरत है। आईआईटी दिल्ली से पीएचडी डॉ. देबदत्ता भी विभिन्न इंजीनियरिंग सोसाइटी से बेस्ट युवा वैज्ञानिक के पुरस्कार से सम्मानित हैं।
सीबीआरआई रुड़की के ये दोनों युवा वैज्ञानिक देश की विभिन्न ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण में भी योगदान दे रहे है। जैसे कोणार्क सूर्य मंदिर, पुरी जगन्नाथ मंदिर, आमेर का किला, सीएसएमटी मुंबई, नई संसद भवन आदि। नोएडा में हुए ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण की टीम में भी ये लोग शामिल रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि पर उनके परिजनों अव्यान, पूजा, प्रदीप, संजीव शशि, दीक्षा अमीषा, अस्तित्व, दक्ष, देव, राजकुमार, ऋतु व वासु को गर्व है। सभी उन दोनों को शुभकामनाएं देते हैं। इससे पूरा परिवार गौरवान्वित है।
डिजाइन बनाने में करना पड़ा चुनौतियों का सामना, हुई मेहनत
हिना व देवदत्ता ने बताया कि अयोध्या मंदिर को नागर शैली से बनाया जा रहा है, जिसमें पांच मंडप हैं। लगभग 161 फीट ऊंचाई वाले इस मंदिर में कहीं भी कोई सरिया का इस्तेमाल नहीं हुआ है। पत्थर से पत्थर की इंटरलॉकिंग की गई है। मंदिर के योजनाकार सीबी सोमपुरा, अहमदाबाद स्थित एक फर्म है। निर्माण एजेंसी एलएंडटी और पीएमसी टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स हैं। राम मंदिर का फैसला आने के बाद पुराने रूप में बनाए जाने वाले इस मंदिर का डिजाइन तैयार करने में सीबीआरआई रुड़की को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बहुत मेहनत करनी पड़ी। श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय के साथ अनेक बार बैठक हुई।
उन्होंने संरचना के सूचना-बोधन का मनन करते हुए श्री राम मंदिर के ढांचे का सूक्ष्म-विश्लेषण किया और उसमें भूकंप और तूफान जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के वास्ते संशोधन किया है। हिना गुप्ता और डॉ. देवदत्ता ने बताया कि अन्य निर्माण तो 50 साल या 100 साल के लिए तैयार किए जाते हैं, लेकिन राम मंदिर 1000 साल तक सुरक्षित रहे। इस तरह इसका डिजाइन तैयार किया गया है। नियमित रूप से इसकी जांच की गई। इसको अन्य किसी प्रकार से क्षति न हो इसका भी ध्यान रखा गया है। साथ ही इसका डिजायन ऐसा बनाया गया है कि भगवान श्रीराम के जन्मदिन यानि रामनवमी पर सूर्य किरणों से श्री राम का तिलक अभिनंदन भी होगा।