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संवेदनशील डॉक्टर न सिर्फ दवा, बल्कि व्यवहार से भी मरीज को जल्द ठीक करने में मदद करता है: राष्ट्रपति

  • गोरखपुर एम्स के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं महामहिम राष्ट्रपति
  • डॉक्टर कभी सेवानिवृत्त नहीं होता,स्वास्थ्य रूपी संपदा लोगों को देते जाइए, आपको सुकून मिलेगा: मुर्मू
  • बोलीं- भारत की चिकित्सा क्षमता का प्रतीक है एम्स
  • हमने भगवान को नहीं देखा, लेकिन जिनके कदमों के पास अपने मरीजों को रखते हैं, वे भगवान होते हैं: राष्ट्रपति
  • पूर्वी उप्र, सीमावर्ती बिहार व नेपाल के लोगों के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हो रहा गोरखपुर एम्स: राष्ट्रपति
  • बोलीं- कई देशों की तुलना में भारत में कम है इलाज का खर्च

गोरखपुर। महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि डॉक्टर का व्यवहार मरीज के मानसिक व शारीरिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आपने इसे करियर के रूप में चुना, क्योंकि आपके मन और परिवार में सेवाभावना है। एक संवेदनशील डॉक्टर न केवल दवा, बल्कि अपने व्यवहार से भी मरीज को जल्द ठीक करने में मदद करता है। सहानुभूतिपूर्ण देखभाल से मरीज की हालत में तेजी से सुधार होता है। डॉक्टर के धैर्य व समर्पण की भावना समाज में आदर्श प्रस्तुत करती है, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हैं। चिकित्सा एक प्रोफेशन नहीं, बल्कि सेवा है। राष्ट्रपति सोमवार को गोरखपुर एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। राष्ट्रपति ने आयोजन में शामिल होने पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने विद्यार्थियों को उपाधि व मेडल प्रदान किया।

डॉक्टरों के जगने से बचती हैं कई जिंदगियां
राष्ट्रपति ने कहा कि कभी रात में थके हारे सोए हैं, लेकिन आधी रात में किसी ने फोन किया तो आपको जगना पड़ता है। आपके जगने से कई जिंदगी बचती है। खाने का एक निवाला अंदर गया, तभी टेलीफोन आ गया, लेकिन आप खाना खाकर रेस्ट करके भी नहीं जा सकते हैं। यह इमरजेंसी सर्विस है, इसलिए लोग डॉक्टरों को भगवान मानते हैं। हम भगवान को देखे नहीं, लेकिन जिसके कदमों के पास अपने मरीजों को भेजते हैं, वे चलते-फिरते भगवान होते हैं, उनसे कहते हैं कि डॉक्टर साहब इसे बचाओ। उनके पास आर्थिक व्यवस्था है कि नहीं, बिन यह सोचे आपको जिंदगी बचानी पड़ेगी, क्योंकि यही मानवता है।

भारत की चिकित्सा क्षमता का प्रतीक है एम्स
राष्ट्रपति ने कहा कि यह केवल आयोजन नहीं, बल्कि शिक्षा- सेवा व समर्पण के मूल्यों के प्रति निष्ठा व्यक्त करने का महत्वपूर्ण अवसर है। एम्स का नाम सुनते ही मन में विश्वस्तरीय इलाज, उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा, आधुनिक टेक्निक व समर्पित डॉक्टर की छवि आंखों के सामने उभरती है। यह संस्थान भारत की चिकित्सा क्षमता का प्रतीक है। यहां हर मरीज को उम्मीद की नई किरण दिखाई देती है।

एम्स ने नवाचार को बनाया कार्यशैली का हिस्सा
राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स ने भारत में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और उपचार के क्षेत्र में उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। चाहे सर्जरी की नई टेक्निक हो, अर्ली डायग्नोस्टिक के उपकरण हों या आयुष-एलोपैथी के समन्वय से बीमारियों का इलाज, एम्स ने नवाचार को अपनी कार्यशैली का हिस्सा बनाया है। देश का पहला एम्स स्थापित करने का जो उद्देश्य था, उसे पूरा करने में सभी एम्स संस्थान सफल रहे। एम्स सेवा, गुणवत्ता व नवाचार के केंद्र बन गए हैं। एम्स गोरखपुर इस परंपरा को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रहा है। इस संस्थान ने बहुत कम समय में शिक्षा, अनुसंधान और चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह संस्थान सुलभ व सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।

पूर्वी उप्र, सीमावर्ती बिहार व नेपाल के लोगों के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हो रहा गोरखपुर एम्स
राष्ट्रपति ने कहा कि कोई गरीब हो, ग्रामीण या शहरी नागरिक, इस संस्थान में समान गुणवत्ता का इलाज उपलब्ध है। पूर्वी उप्र, सीमावर्ती बिहार व नेपाल के लोगों के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा के केंद्र के रूप में एम्स गोरखपुर प्रसिद्ध हो रहा है। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि चिकित्सा लोगों की सेवा के साथ ही देश सेवा का माध्यम भी है। डॉक्टरों का समाज व देश के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान होता है। डॉक्टर केवल रोग का इलाज नहीं करते, बल्कि स्वस्थ समाज की नींव भी रखते हैं।

एम्स द्वारा लोगों को मिल रहीं उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं
उन्होंने कहा कि जब देश के नागरिक स्वस्थ होते हैं तो उनके कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है और वे राष्ट्र की उन्नति में भागीदार बन सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि डॉक्टरों की सेवाएं गांवों व दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपलब्ध हो। गोरखपुर व देश के अन्य स्थानों पर एम्स की स्थापना इस उद्देश्य से ही की गई है कि देश के हर कोने में उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हों। आज पूरे देश में अनेक एम्स कार्यरत हैं, जिनके द्वारा स्थानीय लोगों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में रोजगार और शिक्षा के अवसर भी बढ़े हैं।

कई देशों की तुलना में भारत में कम है इलाज का खर्च
राष्ट्रपति ने कहा कि विदेशों से भी मरीज भारत में इलाज के लिए आते हैं, क्योंकि यहां इलाज न केवल सुलभ, बल्कि गुणवत्तापूर्ण भी है। भारत में इलाज का खर्च कई देशों की तुलना में बहुत कम है। यह भारत के लिए गौरव की बात है। मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने में एम्स जैसे संस्थाओं की निर्णायक भूमिका रही है। एम्स की पारदर्शिता, नैतिकता और अनुसंधान आधारित इलाज प्रणाली वैश्विक मंच पर इसे प्रतिष्ठित संस्थान बना रहे हैं। विश्वास है कि गोरखपुर समेत सभी एम्स भारत को वैश्विक चिकित्सा केंद्रों के रूप में स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।

डॉक्टरों को इम्पैथी के महत्व को समझना आवश्यक है
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टरों को अनेक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन इम्पैथी के महत्व को समझना आवश्यक है। मेडिकल एजुकेशन से जुड़े हितधारकों से अपील करूंगी कि भावी डॉक्टरों को शुरूआत से ऐसा ईकोसिस्टम प्रदान किया जाए, जिसमें वे अपने कौशल के साथ-साथ डॉक्टर-पेशेंट कम्युनिकेशन, रोल आॅफ इम्पैथी इन हिलिंग और ट्रस्ट बिल्डिंग जैसे विषयों के बारे में भी जानें।

मरीजों की मुस्कान की तुलना कभी अर्थ से नहीं की जा सकती
राष्ट्रपति ने कहा कि आप डॉक्टर बने हैं, आपको कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर बनने के बाद आप कितने धनवान हुए, कितना सामाजिक सम्मान मिला, लेकिन मरीजों व उनके परिवार के चेहरे पर जो मुस्कान मिलेगी, उसकी तुलना किसी अर्थ से नहीं की जा सकती। राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर कभी सेवानिवृत्त नहीं होते। आपको यह सेवा जिंदगी भर करनी है। स्वास्थ्य रूपी संपदा लोगों को देते जाइए, आपको सुकून मिलेगा। आपके चेहरे पर खुशी मिलेगी। आपका नाम सदा गूंजता रहेगा। करियर व जीवन में हमेशा याद रखें कि चिकित्सा मानव की सेवा है। जहां भी कार्य करें, करुणा व ईमानदारी को चिकित्सा का हिस्सा बनाएं।

राष्ट्रपति ने टेक्नोलॉजी पर की चर्चा
राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी इन मेडिसिन के बारे में सभी जानते हैं। टेली मेडिसिन, एआई इन डायग्नोस्टिक, रोबोटिक सर्जरी, वेरिएबुल हेल्थ टेक जैसे तकनीक चिकित्सा सेवा को बेहतर बना रहे हैं। एम्स के द्वारा रोबोट असिस्टेट सर्जरी, एआई बेस्ड कैंसर डिटेक्शन का उपयोग किया जा रहा है, जो चिकित्सा नवाचार के लिए भारत की तत्परता को दशार्ता है। एआई डिवेन हेल्थ केयर में एथिक्स डेटा प्राइवेसी और ह्यूमन टच बनाए रखने पर भी विचार करना आवश्यक है।

आपकी सफलता में माता-पिता व शिक्षकों की भूमिका
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि आप जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वह आपकी मेहनत व दृढ़संकल्प का परिणाम है, लेकिन इस सफलता में माता-पिता व शिक्षकों की भी भूमिका है। आप अपने ज्ञान का उपयोग केवल करियर में आगे बढ़ने के लिए न करें, बल्कि समाज के उन वर्गों के लिए भी कार्य करें, जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की सर्वाधिक आवश्यकता है। उन्होंने कई ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में वंचित समुदायों के लिए उच्च स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं का भी जिक्र किया।

अपने कार्य से रोशन करेंगे नाम
राष्ट्रपति ने सीएम से हुई चर्चा का भी जिक्र किया। उन्होंने 1-15 साल के गरीब बच्चों की चर्चा करते हुए कहा कि यहां कभी के उनके पास रहने, खाने, स्वच्छता की व्यवस्था नहीं थी। उन्हें एक बीमारी हो रही थी, लेकिन अब वह बीमारी समाप्त हो गई। राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वास है कि आप ऐसे क्षेत्रों व लोगों के लिए अच्छी स्वास्थ्य दिशा के क्षेत्र में कार्य करेंगे और अपने कार्य से एम्स गोरखपुर व देश का नाम रोशन करेंगे।

समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, एम्स गोरखपुर के अध्यक्ष देशदीपक वर्मा, एम्स की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता आदि की मौजूदगी रही।

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