Supreme Court: ‘केंद्र सरकार की याचिका कानून का दुरुपयोग’; नाराज शीर्ष अदालत ने ठोका पांच लाख रुपये जुर्माना

मेघालय से जुड़े एक मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने केंद्र सरकार की तरफ से दायर याचिका को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया। कोर्ट ने कहा कि मेघालय हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का कोई औचित्य ही नहीं है।
मेघालय हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र सरकार को अदालत की नाराजगी का सामना करना पड़ा। कोर्ट में दो जजों की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी का इजहार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का फैसला कानूनी प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग है। अदालत में जस्टिस विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार को पांच लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश भी सुनाया। नाराज अदालत ने कहा, याचिकाकर्ताओं को चेतावनी दी जाती है कि वे भविष्य में ऐसी तुच्छ याचिकाएं दायर न करें।
हाईकोर्ट के सामने सरकारी वकील का बयान
पीठ ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज किया जाता है क्योंकि हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता (केंद्र सरकार) के वकील ने कहा था कि मामला पूरी तरह से अदालत के पिछले फैसले से कवर होता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील के बयान के आधार पर मामले का निपटारा कर दिया था।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण से जुड़ा है मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट की पीठ हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के फैसले को बरकरार रखा था। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील पर गौर करने के बाद मामले का निपटारा कर दिया कि इसी तरह की याचिका पहले खारिज की जा चुकी है।
दो महीने में पैसा जमा करें, सुप्रीम कोर्ट को बताना भी होगा
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि हम याचिकाकर्ताओं पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हैं। जुर्माने की रकम आठ सप्ताह के भीतर सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष, केनरा बैंक में जमा करनी होगी। रक्षा मुख्यालय शाखा साउथ ब्लॉक में इस राशि को जमा किया जाएगा। उक्त राशि को उपरोक्त निधि में जमा करने के बाद याचिकाकर्ताओं को उसके बाद एक सप्ताह के भीतर इस अदालत की रजिस्ट्री में पैसा जमा किए जाने का प्रमाण दाखिल करना होगा।