विदेश से MBBS डिग्री करने वाले स्टूडेंट के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अच्छा फैसला, जानें क्या-क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ( SC ) ने कहा है कि विदेश से मेडिकल की डिग्री लेकर आए इंटर्न के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रसन्ना भालचंद्र वरले की पीठ ने कुछ डाक्टरों की ओर से पेश वकील तन्वी दुबे की दलीलों पर गौर किया कि कुछ मेडिकल कालेजों में विदेशी मेडिकल स्नातकों को उनकी इंटर्नशिप के दौरान वजीफा का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विदेश से मेडिकल की डिग्री लेकर आए इंटर्न के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। उन्हें भारतीय कॉलेजों से एमबीबीएस करने वाले अपने साथियों की तरह इंटर्नशिप के दौरान स्टाइपैंड मिलना चाहिए।
तीन कॉलेजों का मांगा ब्योरा
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रसन्ना भालचंद्र वरले की पीठ ने कुछ डाक्टरों की ओर से पेश वकील तन्वी दुबे की दलीलों पर गौर किया कि कुछ मेडिकल कालेजों में विदेशी मेडिकल स्नातकों को उनकी इंटर्नशिप के दौरान वजीफा का भुगतान नहीं किया जा रहा है। पीठ ने सोमवार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) से तीन कालेजों का ब्योरा मांगा जिसमें विदेशी चिकित्सा स्नातकों को स्टाइपैंड के भुगतान की जानकारी हो।
इन कालेज में अटल बिहारी वाजपेयी सरकारी मेडिकल कालेज, विदिशा, डा. लक्ष्मीनारायण पांडेय सरकारी मेडिकल कालेज, रतलाम और कर्मचारी राज्य बीमा निगम मेडिकल कालेज, अलवर शामिल हैं। अदालत ने कहा कि स्टाइपैंड का भुगतान किया जाए।
कॉलेजों को सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
कॉलेजों को चेतावनी दी कि अगर स्टाइपैंड के भुगतान पर उसके पहले के आदेश का पालन नहीं किया गया तो सख्त कदम उठाए जाएंगे। मेडिकल कालेज एमबीबीएस और विदेशी मेडिकल स्नातकों के साथ अलग व्यवहार नहीं कर सकते। पीठ ने एनएमसी और मेडिकल कालेजों से इस मुद्दे पर निर्देश वापस लेने को कहा।