उत्तर प्रदेशलखनऊ

ईरान में भारत के बनाए चाबहार पोर्ट के लिए तालिबान ने खोला खजाना, पाकिस्‍तान को लगेगी तीखी मिर्ची

ईरान का चाबहार बंदरगाह सामरिक लिहाज से भारत के लिए बेहद उपयोगी है। इसे ग्वादर की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर भी देखा जाता है। ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन ने बनाया है और बीजिंग के लिए ये बेहद अहमियत रखता है।

काबुल: ईरान और अफगानिस्तान की सरकार के बीच एक अहम समझौता हुआ है। समझौते के तहत अफगान की तालिबान सरकार ने ईरान के चाबहार बंदरगाह में निवेश का ऐलान किया है। ईरान पहुंचे अफगान सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने चाबहार बंदरगाह में निवेश के लिए डील पर हस्ताक्षर किए हैं। अफगान सरकार ने चाबहार पोर्ट में 35 मिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान किया है। सोमवार को ईरानी मीडिया ने बताया कि तालिबान सरकार चाबहार बंदरगाह और चाबहार मुक्त आर्थिक क्षेत्र में वाणिज्यिक, आवासीय और सरकारी परियोजनाओं में 35 मिलियन डॉलर का निवेश कर रही है।

बीते साल, 2023 से तेहरान और काबुल के बीच तनावपूर्ण संबंध देखने को मिले थे। हिरमंद नदी से जल वितरण पर दोनों देशों के बीच झड़प भी हुई थी। ऐसे में तालिबान सरकार के इस कदम ने कई लोगों को आश्चर्यचकित किया है। तालिबान के निवेश का इस्तेमाल 25 मंजिला ऊंची इमारत फखर निर्माण परियोजना में किया जाएगा। इस निवेश से दोनों देशों के नजदीकी पड़ोसी पाकिस्तान को भी एक झटका लगेगा। पाकिस्तान के हालिया समय में तालिबान से संबंधों में जबरदस्त तनाव है।

 

पहली बार अफगान का ईरान में निवेश

यह पहली बार है कि अफगानिस्तान के व्यवसायी ईरान में सरकार के नेतृत्व वाली निर्माण परियोजना में निवेश कर रहे हैं। ईरान ने 2021 में अफगानिस्तान में निवेश किया था लेकिन तब तक तालिबान की सत्ता में वापसी नहीं हुई थी। तालिबान ने इस निवेश का लक्ष्य अपने भूमि से घिरे देश के लिए अंतरराष्ट्रीय जल तक पहुंच का मार्ग प्रशस्त करना है। अफगानिस्तान में ईरानी राजदूत हसन काजेमी कोमी ने कहा है कि दोनों देश भारत और चीन के माध्यम से एक पारगमन गलियारा खोलने पर काम कर रहे हैं। ईरान अफगानिस्तान के मुख्य आर्थिक साझेदारों में से एक होने और तालिबान द्वारा फरवरी 2023 में अपना दूतावास फिर से खोलने के बावजूद तेहरान ने आधिकारिक तौर पर तालिबान को देश की वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है।

ईरान का चाबहार बंदरगाह सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है। अफगानिस्‍तान में तालिबान के शासन के बाद चाबहार बंदरगाह की सक्रियता पर असर पड़ा था लेकिन तालिबान के ही निवेश के लिए आगे आने के बाद चीजें बेहतर होंगी। तालिबान के संबंध पाकिस्तान से अच्छे नहीं हैं लेकिन भारत के साथ उसने अच्छे राजनयिक और व्यापारिक संबंधों की बात कही है। ईरान से भी अब वह रिश्तों की बेहतरी की कोशिश करता दिख रहा है। चाबहार पोर्ट में भारत का भारी निवेश है। वहीं इसके पास में ही चीन ने ग्वादर पोर्ट तैयार कर लिया है।

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