Tejashwi Yadav: मछली खाने का वीडियो कैसे बदल रहा है उत्तर से दक्षिण भारत तक चुनावी समीकरण? जानें किसे फायदा

समाजवादी पार्टी के नेता संजय लाठर कहते हैं कि मछली के मुद्दे को छेड़कर भाजपा बुरी तरह से फंस गई है। इसने तमाम पिछड़ी और दलित जातियों में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ानी शुरू कर दी है।
गंगा जल पवित्र है। लेकिन गंगा जल में रहने वाली मछली अपवित्र कैसे हुई? कोई जब चाहे मछली खाए, इसमें अपवित्रता कहां से आई? बड़ा सवाल है। तमिलनाडु से एसवी रमणी का कहना है कि मछली इस देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा महत्व रखती है। रमणी का कहना है कि राजद नेता तेजस्वी के मछली खाने वाले वीडियो पर हल्ला बोलकर भाजपा फंस गई है। उत्तर प्रदेश में संजय निषाद की पार्टी के एक विधायक से इस मामले में फिलहाल कुछ बोलते नहीं बन रहा है। बिहार के वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा कहते हैं कि मछली के वीडियो प्रकरण पर प्रधानमंत्री ने टिप्पणी करके इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। मुझे नहीं लगता कि इससे भाजपा का भला होगा।
भाजपा के पूर्वी उत्तर प्रदेश से एक विधायक हैं। नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि तालाब में तीन-चार मछली मिल गईं, तो भोजन हो जाता था। अब क्या कहें? सूत्र का मानना है कि इस मुद्दे को तूल देने से पार्टी को नुकसान हो सकता है। शांतनु बनर्जी पश्चिम बंगाल में वरिष्ठ पत्रकार हैं। वह कहते हैं कि बंगाल और मछली? क्या खूब रिश्ता है? टीएमसी के नेता अभिषेक बनर्जी ने भी मछली पर भाजपा के बयानों को लेकर उसे घेर लिया है। अभिषेक इसे भरपूर बंगाल का रंग देने में जुटे हैं। असम में जोरहाट की नेता कहती हैं कि मछली तो पूरे भारत में खाई जाती है। कई राज्यों में इसका नवरात्र से कोई लेना-देना नहीं है।
तेजस्वी यादव आईक्यू चेक कर रहे थे?
समाजवादी पार्टी के नेता संजय लाठर कहते हैं कि मछली के मुद्दे को छेड़कर भाजपा बुरी तरह से फंस गई है। इसने तमाम पिछड़ी और दलित जातियों में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ानी शुरू कर दी है। संजय लाठर कहते हैं कि इस पर तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया और तंज भी जोरदार है। दरअसल राजद के नेता तेजस्वी यादव ने मुकेश सहनी के साथ साझा किए इस वीडियो में तारीख का भी हवाला दिया था। यह वीडियो आठ अप्रैल का था। नवरात्र से एक दिन पहले का। भाजपा के नेताओं द्वारा इस वीडियो पर राजनीतिक घमासान मचाने के बाद तेजस्वी यादव ने तंज भी कस दिया। उन्होंने कहा कि वह इस वीडियो को शेयर करके भाजपा और आरएसएस के नेताओं की बौद्धिकता जांच रहे थे। तेजस्वी ने कहा कि भाजपा के नेता का पढ़ने-लिखने से कोई मतलब नहीं होता? तेजस्वी यादव का यह बयान बिहार में खूब चर्चा में है। उनकी जनसभाओं में भीड़ उमड़ रही है। तेजस्वी यादव के इस कौशल से राहुल गांधी का सचिवालय भी खुश है। कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री तो यहां तक कहते हैं कि बिहार में तेजस्वी यादव के भरोसे ही विपक्ष की राजनीति चल रही है।
मछली की राजनीति को लेकर इतना हंगामा क्यों मचा है?
भाजपा ने उत्तर भारत में सनातन धर्म की मूल मान्यता और वैष्णव संप्रदाय में नवरात्र, नौ दिन के उपवास को अधार बनाकर इसे बड़ा मुद्दा बनाया, लेकिन देश की एक बड़ी आबादी के भोजन में मछली प्रिय है। बिहार में मिथिला के एक नेता कहते हैं कि वह मछली सूंघ लें, तो उनके सभी रोग छोड़कर भाग जाते हैं। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र समेत देश के सभी समुद्र तटीय राज्यों में मछली अर्थव्यवस्था, जिविकोपार्जन, भोजन का बड़ा स्रोत है। देश के मीठे जल वाले सभी राज्यों में भी मछली पालन, मछली का कारोबार, व्यापार लोगों का साधन है। नवरात्र में मांसाहार या मछली का सेवन करने से देश की एक बड़ी आबादी कोई परहेज नहीं करती। विवेक केडिया कहते हैं कि जो परहेज नहीं करते, उनके लिए यह कोई मुद्दा नहीं है। जो लोग नवरात्र को छोड़ कर मछली या मांसाहार का सेवन करते हैं, उनके लिए सोचने के लिए मजबूर करने वाला मुद्दा नहीं है।
देश में मांसाहार खाने वालों के बारे में भी जानिए
राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण के एक आंकड़े के मुताबिक देश में 57 फीसदी से अधिक पुरुष 45 फीसदी महिलाएं सप्ताह में एक बार चिकन और मछली खाते हैं। सबसे अधिक मांसाहारी पूर्वी, दक्षिण और पश्चिमी भारत में हैं। उत्तर भारत में औसतन संख्या कम है। इस बारे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एके सिंह कहते हैं कि आप किसी के खाने-पीने पर पाबंदी नहीं लगा सकते। लोगों को कुछ अधिकार संविधान ने दिए हैं। एके सिंह कहते हैं कि यह आम धारणा है कि ईसाई मांसाहारी हैं। मुस्लिम मांसाहारी है। हिंदू वैष्णव और शैव में बंटता है। यहां पूर्ण शाकाहारी भी होता है। इसलिए भाजपा इस मुद्दे पर अपना राजनीतिक फायदा देखती है। मेरे विचार में इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने भी लगा दिया राजनीति का तड़का
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उधमपुर में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मटन, मछली को मुगलिया संस्कृति का तड़का लगाते हुए इसे लोगों की भावनाएं आहत करने वाला कृत्य बता दिया। बिना नाम लिए लालू प्रसाद यादव से मटन बनाने की कला सीखने की राहुल गांधी की कोशिश से लेकर तेजस्वी यादव के मछली खाने के वीडियो तक गए। सजायाफ्ता कैदी और जमानत पर चल रहे नेता तक का तंज कसा। हालांकि प्रधानमंत्री ने सफाई दी कि वह नॉन वेज खाने वालों को इसे खाने से नहीं रोक रहे हैं, लेकिन सावन के महीने में मटन और नवरात्र के समय मछली के वीडियो साझा करने को उन्होंने लोगों की भावना आहत करने वाला बता दिया। प्रधानमंत्री के मुंह से बात निकली है, तो जरूर दूर तलक जाएगी। अब इसे लेकर बहस छिड़ गई है।