UP News: 400 बीघा सरकारी भूमि बेचने के आरोपी एसीओ और लेखपाल को भेजा गया जेल, खतौनियां निरस्त

मीरगंज तहसील क्षेत्र में पद का दुरुपयोग कर सरकारी जमीन को अनाधिकृत लोगों के नाम कराने के आरोपी सहायक चकबंदी अधिकारी (एसीओ) और लेखपाल को जेल भेज दिया गया है। वहीं, इस प्रकरण संबंधी खतौनियों को निरस्त कर दिया गया है।
बरेली की मीरगंज तहसील के गांव मोहम्मदगंज में ग्रामसभा की 400 बीघा भूमि की खतौनी की फर्जी नकल बनाकर अवैध कब्जा प्रकरण की जांच में दोषी एसीओ, चकबंदी लेखपाल को पुलिस ने जेल भेज दिया है। इधर, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी पवन कुमार ने प्रकरण संबंधी खतौनियां निरस्त कर दी हैं।
मोहम्मदगंज निवासी रविंद्र सिंह ने पूर्व में सहायक चकबंदी अधिकारी (एसीओ) सुनील कुमार, चकबंदी लेखपाल रामवीर सिंह के खिलाफ तत्कालीन डीएम को पत्र सौंपकर ग्रामसभा की 400 बीघा भूमि को क्षति पहुंचाने का आरोप लगाया था। जांच के निर्देश के बावजूद तत्कालीन अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया।
अमर उजाला ने मामले को प्रमुखता से उठाया तो अफसरों के खेमे में हलचल मची। मुख्यमंत्री, मंडलायुक्त समेत जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायतें हुईं। मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच के आदेश होने पर साल भर पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी ने जांच शुरू कराई। तत्कालीन एडीएम सिटी के नेतृत्व में कमेटी गठित हुई। लंबी जांच में एसीओ, चकबंदी लेखपाल का खेल खुला। रिपोर्ट पर डीएम ने चकबंदी आयुक्त को कार्रवाई के लिए लिखा था।
पंजाब-हरियाणा के काश्तकारों के नाम भी बेच दी जमीन
जांच रिपोर्ट के अनुसार ग्रामसभा की बेशकीमती भूमि को दोनों जिम्मेदारों ने प्रदत्त अधिकारों का अनुचित लाभ उठाते हुए बेचा। फर्जी दस्तावेज तैयार किए और नियमों को धता बताते हुए भूमि का दाखिल-खारिज भी कर दिया। बताया जाता है कि बंजर, परती, रेत, नदी की सीमा के क्षेत्र की प्रति बीघा भूमि का सौदा 80 हजार से एक लाख रुपये तक में किया। यह जमीन स्थानीय लोगों समेत हरियाणा, पंजाब के लोगों को बेची गई थी।
विवेचना जारी, आगे भी हो सकती है कार्रवाई : पारीक
एसपी साउथ मानुष पारीक ने बताया कि विवेचना में दोषी पाए गए एसीओ व लेखपाल को जेल भेजा गया है। मीरगंज पुलिस की विवेचना जारी है। इसमें कोई अन्य आरोपी या साक्ष्य मिले तो उनके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
किसने क्या किया खेल
सहायक चकबंदी अधिकारी सुनील कुमार ने कुछ ऐसे आदेश पारित किए जिसमें काश्तकारों को अवांछित लाभ पहुंचाया गया। ग्रामसभा के मदों से संबंधित खाता, बंजर, रेत की भूमि व रामगंगा नदी को क्षति पहुंचाई। स्वयं अपने आदेशों को नियमों के विपरीत वापस भी लिया। नवअंकित खातेदारों का दाखिल खारिज कर दिया। जांच में दोषसिद्ध हुआ।
चकबंदी लेखपाल रामवीर सिंह ने सहायक चकबंदी अधिकारी की ओर से पारित अविधिक आदेशों की अमल दरामद उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाए बगैर ग्रामसभा के अभिलेखों में की। अभिलेखों की कूटरचना कर कुछ काश्तकारों को खतौनी के गलत उद्धरण जारी कर ग्रामसभा को क्षति पहुंचाई। अभिलेखों के विपरीत नकल जारी कर ग्रामसभा को क्षति पहुंचाने के लिए चकबंदी लेखपाल को दोषी माना गया।