उत्तर प्रदेशलखनऊ

UP Lok Sabha Election: चुनावी रण में गोरखपुर से मुस्लिम, बस्ती में बसपा ने ब्राह्मण को बनाया ‘महावत’

UP Lok Sabha Election गोरखपुर में बसपा प्रत्याशी अपने सांगठनिक अनुभव के सहारे काडर वोटर के साथ मुस्लिम मतदाताओं को पक्ष में करने में सफल हुए तो यहां लोकसभा का रण रोचक बना सकते हैं। बसपा ने 1989 में अपने पहले चुनाव में भी गोरखपुर सीट से मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाया था। यद्यपि तब बसपा चौथे नंबर पर रही थी।

गोरखपुर। UP lok sabha election हर चुनाव में टिकट घोषित करने में आगे रही बहुजन समाज पार्टी इस बार सबकी चाल देखकर अपने पत्ते खोले हैं। देर आए दुरुस्त आए का फार्मूला इस्तेमाल करते हुए गोरखपुर और बस्ती के लिए प्रत्याशियों के नाम घोषित किए तो साफ हुआ कि पार्टी ने टिकट वितरण में संगठन के अनुभव संग जातीय समीकरण भी साधे हैं।

विजयपथ पर ‘हाथी’ को दौड़ाने के लिए बसपा ने गोरखपुर में मुस्लिम, तो बस्ती से ब्राह्मण को अपना ‘महावत’ बनाया है। गोरखपुर से प्रत्याशी बनाए गए जावेद सिमनानी का बसपा संगठन में लंबा अनुभव है। 2003 में सेक्टर महासचिव से शुरुआत कर वर्तमान में जिला प्रभारी (ग्रामीण विधान सभा, गोरखपुर) का दायित्व संभाल रहे सिमनानी संगठन की राजनीति में मजबूत पकड़ रखते हैं।

 

उधर, बस्ती से प्रत्याशी बनाए गए दयाशंकर मिश्रा भाजपा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें भी संगठन की राजनीति करने का लंबा अनुभव है। इनके जरिये पार्टी ने जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। गोरखपुर की बात करें तो यहां 26 प्रतिशत अनुसूचित मतदाता हैं। मुस्लिम वोटरों की बात करें तो ये 6.5 प्रतिशत हैं।

गोरखपुर में बसपा प्रत्याशी अपने सांगठनिक अनुभव के सहारे काडर वोटर के साथ मुस्लिम मतदाताओं को पक्ष में करने में सफल हुए तो यहां लोकसभा का रण रोचक बना सकते हैं। बसपा ने 1989 में अपने पहले चुनाव में भी गोरखपुर सीट से मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाया था। यद्यपि, तब बसपा चौथे नंबर पर रही थी

इसी तरह दयाशंकर मिश्रा को उम्मीदवार बनाकर बसपा बस्ती में 23.65 प्रतिशत अनुसूचित वोटर के साथ 10 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाताओं को पक्ष में करके जीत की इबारत लिखना चाह रही है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्रा पर दांव खेलकर बसपा यहां भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को भी साधने के साथ भगवा खेमे के परंपरागत वोटों में सेंधमारी करना चाह रही है।

दि दयाशंकर मिश्रा भाजपा के भीतर असंतुष्ट नेताओं के असंतोष को हवा देने में सफल हुए और पार्टी के परंपरागत वोटों के साथ ब्राह्मण मत सहेज पाए तो वह मजबूत प्रतिद्वंद्वी साबित हो सकते हैं।

कुशीनगर में सपा का सैंथवारों को साधने का दांव

 

कुशीनगर में सपा ने अजय प्रताप सिंह “पिंटू” को टिकट दिया है। अजय सैंथवार बिरादरी से आते हैं। पिता जन्मेजय सिंह बसपा के टिकट पर गौरीबाजार से एक बार और भाजपा के टिकट पर देवरिया सदर सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। पिता के निधन के बाद मध्यावधि चुनाव में भाजपा द्वारा टिकट न मिलने पर 2020 में अजय देवरिया सदर से सपा के टिकट पर लड़े। 2022 में भी सपा ने उन्हें लड़ाया, लेकिन दोनों बार हारे।

अब कुशीनगर से सपा ने उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। इसके पीछे भाजपा के स्थानीय नेताओं में उनकी पैठ के साथ जातीय समीकरण की बड़ी भूमिका है। यहां 23.5 प्रतिशत अनुसूचित के बाद दूसरे नंबर पर 16.5 प्रतिशत सैंथवार-कुर्मी मत हैं। 12.4 प्रतिशत मुस्लिम और 5.26 प्रतिशत यादव हैं। ऐसे में सपा ने सैंथवार प्रत्याशी उतारकर बड़ा दांव खेला है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button