यूपी: आगरा का पॉश एरिया, आलीशान कोठी और अंदर हो रहा था ऐसा काम; छापा मारने गई STF भी चकरा गई

शिवानी सिंह l समाचार लेखक
आगरा में रिंग रोड स्थित गंगेश्वर कैंपस की आलीशान कोठी में एसटीएफ ने छापा मारा तो नकली देसी घी की बड़ी फैक्टरी का भंडाफोड़ हो गया। यहां वनस्पति और रिफाइंड को मिश्रण कर नकली देसी घी तैयार किया जा रहा था।
आगरा शहर के पॉश इलाके रिंग रोड स्थित गंगेश्वर कैंपस में नकली देसी घी की फैक्टरी चल रही थी। आलीशान कोठी में रिफाइंड और वनस्पति से नकली घी तैयार किया जा रहा था। खुशबू के लिए एसेंस मिलाते थे। पैकेट पर बार कोड लगाकर दिल्ली-एनसीआर तक सप्लाई हो रही थी। मंगलवार को एसटीएफ और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने छापा मारकर 2 हजार लीटर नकली देसी घी सहित संचालक और 2 कारीगरों को गिरफ्तार कर लिया।एसटीएफ के सीओ उदय प्रताप सिंह ने बताया कि 15 दिन से सूचना मिल रही थी कि काॅलोनी में कोठी संख्या 22/2सी में नकली घी तैयार होता है। इस पर ग्राहक बनकर रेकी की गई। इसके बाद छापा मारा गया। मौके पर एफएसडीए की टीम को भी बुलाया गया। संचालक अवनीश गर्ग ने कोठी के पिछले हिस्से में कारखाना बनाया था। पैकिंग और बार कोड के लिए मशीनें लगी थीं। भट्ठी पर भगौने में वनस्पति और रिफाइंड को मिश्रण कर गर्म किया जाता था। इसमें खुशबू के लिए एसेंस मिलाते थे।आधा लीटर और 1 लीटर की पैकिंग में सप्लाई होती थी। पैकेट पर डेयरी मिल्क शुद्ध देशी घी लिखते थे। इसके साथ ही बार कोड, कीमत और एक्सपायरी तक थी। आधा लीटर 350 और एक लीटर 640 रुपये में ग्राहकों बेचा जाता था। टीम ने मौके से अवनीश गर्ग, टेढ़ी बगिया के कर्मचारी इब्राहिम और राया, मथुरा के इब्बो को पकड़ा है। दोनों 10-10 हजार रुपये महीने पर घी तैयार करते थे। घर के पास ही एक गोदाम भी बनाया था, जिसमें रैपर, टिन आदि बरामद किए गए। संचालक लाइसेंस नहीं दिखा सका। इसके साथ ही डिब्बों पर फाउंड्री नगर का पता लिखा था।
ये हुई बरामदगी
एक बार कोड मशीन, एक वजन मापने की मशीन, एक पैकिंग मशीन, एक लीटर के 5 हजार रैपर, 500 एमएल के 2500 रैपर, एक लीटर पैक घी के 500, 500 एमएल के 500 मिले। रिफाइंड के 15 लीटर के 12 टिन, वनस्पति के 29 टिन, 3 लीटर एसेंस, 137 टिन खाली मिले। घी को बनाने के लिए 90 किलोग्राम के 2 भगौने, 1 बाल्टी, 1 छन्ना, 1 घरेलू सिलिंडर, 1 पलटा, चिपकाने के लिए फेवीगम के पैकेट भी रखे थे।नकली घी फैक्टरी का संचालक अवनीश गर्ग बीकॉम पास है। एसटीएफ की पूछताछ में बताया कि वह हौजरी का काम करता था। उसे घाटा हो गया। इस कारण दो महीने पहले ही घी का काम शुरू किया। उसने घी तैयार करने का तरीका यूट्यूब पर सीखा था। इसके कई वीडियो मिले। उसे लगा कि वनस्पति और रिफाइंड से बनने वाला घी किसी को नुकसान भी नहीं करेगा। यह आसानी से बाजार में बिक भी जाएगा। अवनीश ने बताया कि 1 किलोग्राम पर 25 से 30 रुपये की बचत हो जाती है। उसके पास दिल्ली एनसीआर के एजेंट आते हैं। वह बड़े आर्डर ले जाकर बाजार में बिक्री कर देते हैं। दुकानदार एमआरपी से कुछ कम दाम में बिक्री करता है। इससे उसका मुनाफा हो जाता है। एसटीएफ उससे पूछताछ कर रही है। नकली घी का प्रयोग ज्यादातर ढाबे और छोटे विक्रेता करते थे।
परिवार के सामने ही बन रहा था नकली माल
अवनीश गर्ग के साथ ही कोठी में उसके पिता धर्मेंद्र गर्ग उर्फ बाबी भाई के अलावा मां, पत्नी और बच्चे भी रहते हैं। वह नकली का कारोबार कर रहा था, लेकिन घरवालों ने उसे नहीं रोका। रोजाना बाजार में माल सप्लाई होने के लिए जाता था।