सामाजिक समरसता से ही विश्व का कल्याण संभव: आचार्य गुरुदास प्रजापति
आचार्य गुरुदास प्रजापति जी को भारतेंदु हरिश्चंद्र साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया

जस्ट एक्शन संवाददाता
वाराणसी : 18 सितंबर को काशी साहित्यिक संस्थान के वार्षिकोत्सव सम्मान समारोह में साहित्य सेवकों को पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान समारोह वाराणसी के पराड़कर भवन में धूमधाम से मनाया गया। सम्मान समारोह में आचार्य गुरुदास प्रजापति जी को भारतेंदु हरिश्चंद्र साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया है। इन्होंने समाज में फैले वैमनस्यता को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता को अति आवश्यक माना।
समाज में सामाजिक समरसता लाने के लिए इन्होंने व्यक्ति के आहार को शुद्ध रखने पर जोर देते हुए कहा कि परिवार व विश्व पटल को एकता के सूत्र में बांधना चाहते हैं तो पहले अपने जिह्वा के स्वाद पर नियंत्रण रख कर शुद्ध आहार का चयन करें और इस जहां को एक नवीन रूप प्रदान करें। सभी जीवों से प्रेम करें। अहिंसा के व्रत को अपने जीवन में उतारें। गुरुदास प्रजापति जी जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था की सक्रिय सदस्य, काशी साहित्यिक संस्थान के सदस्य, समाजसेवक, साहित्य सेवक, शैक्षिक सलाहकार, सहसंचालक सनातनी विश्व गुरु, पंच संचालक सनातनी वीर के रूप में विख्यात हैं।
इनकी साहित्य कृतियां जो समाज को एक नई दिशा सिखाती हैं इस प्रकार हैं – काव्य:-
राम विमुख जो कोऊ होई, हमरे हउसला के तनिका तूं डिगाई के त देखा, शीत की रात, शक्ति स्वरूपा मां, कन्या है साक्षात देवी, मुझे भूलना नहीं आसां, इत्यादि। संस्मरण – पगडंडी निबंध- गणतंत्र अपने लक्ष्यों की पूर्ति में कहां तक सफल रहा। लेख- समता और समरसता, सामाजिक समस्या में संत रविदास जी की दृष्टिकोण, पीने को ये आंसू और खाने को गम: दलितों का दुख, संस्कृति और सामाजिकता दलित अस्मिता, कविता (बीसवीं सदी की दलित कविता), राष्ट्र प्रेम और अटल बिहारी वाजपेई की कविता, मानवीय संस्कृति बनाम शरीर रक्षा की दृष्टि से सृष्टि का सर्वोत्तम प्राणी मानव और उसके आहार का विश्लेषण, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की कविता में देश प्रेम, पुनर्जागरण के योद्धा:भारतेंदु (प्रकाशनाधीन), इत्यादि।
महाकाव्य – युग प्रवर्तक (प्रकाशनाधीन) गद्य – सुखी दांपत्य (प्रकाशनाधीन) श्री प्रजापति जी को इससे पहले निम्न सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है:- काशी साहित्य गौरव सम्मान, भारत माता अभिनंदन सम्मान, काशी साहित्यिक समूह सम्मान, साहित्य श्री सम्मान, सनातन धर्म रक्षक सम्मान (दो बार), अटल साहित्य सम्मान, राष्ट्रीय साहित्य सम्मान, राजभाषा से राष्ट्रभाषा अभिनंदन पत्र, कलम भूषण सम्मान, निबंध प्रतियोगिता पदक प्रथम स्थान, तथा अनेक संस्थाओं द्वारा विभिन्न सम्मान। इनके द्वारा लगातार समाज, विद्यालय एवं बच्चों के हित में बेहतर कार्य किया जा रहा है।