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मन मेरा चंचल, तन मेरा चंचल

आसमान को छूने की ख्वाहिश लिए, हर नई राह को खुलकर जिए।

मन मेरा चंचल, बहके हर पथ,

सपनों की डोरी, थामे हर वक्त।

आसमान को छूने की ख्वाहिश लिए,

हर नई राह को खुलकर जिए।

तन मेरा चंचल, लहरों सा बहता,

हर चुनौती को मुस्कान से कहता।

रुकना न जानूं, थकना न मानूं,

हर पल को जीने का जादू जानूं।

मन में है विचारों की दौड़ अनंत,

हर ख्वाब को पाना मेरा है व्रत।

तन है मेरा हर पल चलायमान,

खुशियों का खोजी, नई दिशाओं का दान।

चंचल मन, चंचल तन, फिर भी सधा,

हर मुश्किल राह में खुद को गढ़ा।

उड़ान मेरी थमेगी नहीं कहीं,

सपनों की मंजिल है, जाना वहीं।

मन और तन का यह खेल निराला,

हर दिन सिखाए नया उजाला।

चंचलता ही मेरी पहचान है,

जीवन को जीने का उत्साह है।

मन मेरा चंचल, तन मेरा चंचल

मन मेरा चंचल, बहके हर पथ,
सपनों की डोरी, थामे हर वक्त।
आसमान को छूने की ख्वाहिश लिए,
हर नई राह को खुलकर जिए।

तन मेरा चंचल, लहरों सा बहता,
हर चुनौती को मुस्कान से कहता।
रुकना न जानूं, थकना न मानूं,
हर पल को जीने का जादू जानूं।

मन में है विचारों की दौड़ अनंत,
हर ख्वाब को पाना मेरा है व्रत।
तन है मेरा हर पल चलायमान,
खुशियों का खोजी, नई दिशाओं का दान।

चंचल मन, चंचल तन, फिर भी सधा,
हर मुश्किल राह में खुद को गढ़ा।
उड़ान मेरी थमेगी नहीं कहीं,
सपनों की मंजिल है, जाना वहीं।

मन और तन का यह खेल निराला,
हर दिन सिखाए नया उजाला।
चंचलता ही मेरी पहचान है,
जीवन को जीने का उत्साह है।

             राकेश कुमार प्रजापति 

                       शिक्षक

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