स्थायी समिति के पावर के लिए दिल्ली मेयर ने SC में डाली अर्जी, कहा- रुक गए MCD के काम जल्द हो समाधान

दिल्ली की मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय ने स्थायी समिति की पावर के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली है कि स्थायी समिति का गठन होने तक उसकी शक्तियां निगम के सदन को दी जाएं। दिल्ली मेयर की इस अर्जी पर बीजेपी ने सवाल उठाया है।
नई दिल्ली: एमसीडी में स्थायी समिति के कामों को निगम द्वारा संचालित किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने मांग की है कि जब तक स्थायी समिति का गठन ठीक से और कानूनी रूप से नहीं हो जाता है, तब तक एमसीडी की बैठकों में स्थायी समिति के कामों को निगम द्वारा ही संचालित करने की अनुमति दी जाए।
आम आदमी पार्टी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मेयर ने याचिका में दिल्ली के उपराज्यपाल को एक पक्षकार के रूप में शामिल करते हुए दलील दी है कि स्थायी समिति के गठन के अभाव में निगम का कामकाम पूरी तरह ठप हो गया है। निगम में नॉमिनेटेड मेंबर्स की नियुक्तियों की वैधता, स्थायी समिति और वॉर्ड समितियों के चुनाव में वोट डालने के उनके अधिकार की वैधता से जुड़ा मुद्दा अभी भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है, जिस पर निर्णय आना बाकी है। इसी वजह से अभी तक स्थायी समिति का गठन नहीं हो पाया है। मेयर ने कोर्ट से आग्रह किया है कि जब तक स्थायी समिति का गठन कानूनी रूप से नहीं हो जाता, तब तक सीधे निगम के माध्यम से ही एमसीडी के कामकाज को जारी रखने के लिए हस्तक्षेप करें। मेयर ने अदालत से अनुरोध किया है कि पेंडिंग मामले का निपटारा होने तक जनहित में कोई और ऐसा आदेश या निर्देश पारित किया जाए, जिसे कोर्ट उचित और उपयुक्त समझे।
सारे काम रुक गए हैं : मेयर
शैली के मुताबिक, कोर्ट उचित समय पर अपना फैसला सुनाएगी, लेकिन वर्तमान मुद्दा यह है कि स्थायी समिति द्वारा किए जाने वाले सारे काम रुक गए हैं, जिससे एमसीडी का शासन भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। खासकर एमसीडी के स्कूलों में बच्चों के लिए किताबों और स्वास्थ्य केंद्रों के लिए चिकित्सा आपूर्ति की खरीद से लेकर सार्वजनिक पार्कों, सार्वजनिक शौचालयों और अन्य सुविधाओं के रखरखाव तक के काम रुके हुए हैं। उन्होंने ऐसे कई लंबित कामों की सूची भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की है। मेयर ने कहा है कि निगम ने 15 जनवरी 2024 को एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें यह तय किया गया है कि वर्तमान स्थिति से निपटने और नागरिकों के हितों की रक्षा करने के लिए 5 करोड़ रुपये से अधिक के कामों के लिए सक्षम अधिकारी अब स्थायी समिति के बजाय सीधे निगम से अनुमोदन ले सकेंगे। याचिका के माध्यम से कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह इस संबंध में उचित निर्देश दें।