अद्भुत दृश्य का साक्षी बना शहर: 300 साल पुरानी धरोहर सहेजने के लिए ईंटों का कंधा, दिल को छू जाएगी ये स्टोरी

Alisba
Saharanpur News : सहारनपुर में 300 साल पुराने साइकस के पेड़ की देखभाल ऐसे की जा रही है, जैसे जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर बुजुर्गों की जाती हैं। आगे यह खास स्टोरी विस्तार से पढ़िए।
बालपन से लेकर युवा अवस्था और अब उम्र के आखिरी पड़ाव पर हूं। लगभग 300 साल पहले यहां पर मेरा जन्म हुआ था। अंग्रेजी शासनकाल बदल गया और साल दर साल कैलेंडर भी बदल रहे हैं। करीब तीन सदी के इस दौर में यूं तो मुझे सभी ने बेहद प्रेम भाव से रखा, लेकिन मैं शुक्रगुजार हूं उन सरकारी नुमाइंदों का जो उम्र के आखिर पड़ाव में परिवार के बुजुर्ग की तरह मेरी देखभाल कर रहे हैं।
एक इंसान की तरह मेरे लिए बेटे का कंधा न सही, लेकिन मेरी देखरेख करने वाले यह नुमाइंदे किसी बेटे से कम नहीं हैं। मैं उनसे दूर न जाऊं इसलिए ईंटों का कंधा देकर मुझे सहेज रहे हैं। अब तो इतना बूढ़ा हो चुका हूं कि पहले शाखाओं को सहेजने के लिए तीन पिलर बनाए गए थे। अब धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़कर छह हो गई। जितने दिन भी रहूं बस यह प्यार मिलता रहे। यह आत्मकथा है औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र में लगे 300 साल पुराने साइकस के पेड़ की है, जो इतना पुराना हो चुका है कि वह उम्र के आखिर दौर में है, लेकिन यहां पर तैनात अधिकारी और कर्मचारी हर पल इसका ध्यान रखते हैं। पेड़ की एक शाखा भी झुक जाए तो अधिकारी तुरंत मौका मुआयना करते हैं।
10 पेड़ हैं हेरिटेज ट्री घोषित
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 में यहां के 10 पेड़ों को हेरिटेज ट्री भी घोषित किया था, जिनकी उम्र 100 साल या उससे ज्यादा की है। इसमें बरगद, पीपल, नीम, महोगनी, साल, अर्जुन, जामुन, महुआ, इमली और पिलखन शामिल है। इन पेड़ों का प्रस्ताव अधिकारियों ने प्रदेश सरकार को भेजा था, जिसके बाद सरकार ने इन्हें हेरिटेज ट्री घोषित किया था।
साइकस का यह पेड़ करीब 300 साल पुराना है, जो ऐतिहासिक धरोहर है। इस धरोहर को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। पेड़ की शाखाएं जमीन पर न गिरे इसलिए ईंटों से पिलर बनाए गए हैं। – डॉ. इरशाद अहमद सिद्धिकी, प्रभारी संयुक्त निदेशक औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र