उत्तर प्रदेशराज्य

तहसील के प्रशासनिक अधिकारियों की नाक के नीचे हो रही अबैध वसूली

तहसील के न्यायालय सहित विभिन्न पटलों पर बाहरी व्यक्तियों का जमावड़ा

बाहरी व्यक्तियों से काम न लेने संबंधी आदेश भी तहसील के अधिकारियों की नजर में बौना

अयोध्या। प्रदेश के तहसीलों में बाहरी व्यक्तियों से काम कतई न लिए जाने का आदेश निर्देश भले ही शासन में बैठे उच्चाधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है। किंतु वह आदेश निर्देश मिल्कीपुर तहसील प्रशासन की नजर में बिल्कुल
बौना बना हुआ है। क्योंकि तहसील के प्रशासनिक अधिकारियों की नाक के नीचे ऐसे बाहरी व्यक्ति न्यायालय से लेकर तहसील के विभिन्न पटलों पर जमे हुए हैं और वह क्षेत्रवासी काश्तकारों एवं बादकारियों से अवैध वसूली में तल्लीन हैं। इसका नजारा कभी भी मिल्कीपुर तहसील स्थित एसडीएम न्यायालय एवं तहसीलदार न्यायालय सहित विभिन्न न्यायालयों एवं अन्य महत्वपूर्ण पटलों पर देखा जा सकता है। बताते चलें कि आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश अनुभाग 12 लखनऊ की ओर से प्रदेश के समस्त मंडल आयुक्त एवं जिलाधिकारियों को बीते 29 अगस्त 2030 को एक पत्र प्रेषित कर निर्देश दिया गया था कि मंडल/ कलेक्ट्रेट एवं तहसील कार्यालय में बाहरी व्यक्तियों/ निजी कार्मिक/ प्राइवेट व्यक्तियों से कतई कार्य न लिया जाए। यही नहीं आगाह भी किया गया था कि यदि कोई भी अधिकारी ऐसे व्यक्तियों से कार्य करता हुआ पाया जाएगा तो संबंधित के विरुद्ध कठोर कार्यवाही भी की जाएगी और इसके लिए वह स्वयं उत्तरदाई होगा। किंतु मिल्कीपुर तहसील के अधिकारियों ने अनिल कुमार यादव अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त द्वारा निर्गत किए गए उसे आदेश की हवा ही निकाल दी और मिल्कीपुर तहसील परिसर स्थित विभिन्न न्यायालयों सहित तहसील के समस्त पटलों पर ऐसे बाहरी व्यक्ति पूरी तरह से जमे हुए हैं, जो अपने को तहसील के किसी बाबू अथवा साहब से कम नहीं मानते। तहसील परिसर स्थित नकल खतौनी कार्यालय में एक प्राइवेट व्यक्ति मो यासीन कंप्यूटर ऑपरेटर बना हुआ है, जो काश्तकारों एवं किसानों से नकल खतौनी के नाम पर निर्धारित शुल्क 15 रूपए के बजाय 20 से 50 रूपए की अवैध वसूली कर रहा है। उक्त व्यक्ति के कारनामों के चलते किसानों को अपनी जेबें ढीली करनी पड़ रही है। इसके अलावा सबसे मजे की बात तो यह है कि तहसील के अति महत्वपूर्ण एवं गोपनीय कार्यालय में एसडीएम का स्टेनो भी अस्थाई कर्मी अमित कुमार श्रीवास्तव ही बना हुआ है। जिसके चर्चा आम हो गए हैं और वह घर भ्रष्टाचार में संयुक्त है। जिसकी शिकायत भी शासन स्तर तक हो चुकी है किंतु अभी तक उक्त अस्थाई कर्मी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है और न ही उसे गोपनीय कार्यालय से हटाया ही जा सका है।

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